कर्बला के प्यासे शहीद इमाम हुसैन की याद में हुआ रक्तदान
https://www.shirazehind.com/2019/09/blog-post_98.html
जौनपुर
। कर्बला के प्यासे शहीद हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके बहत्तर
साथियो की शहादत की याद में बनी हुसैनी ब्लड डोनर्स एसोसिएशन रजिस्टर्ड ने
गुरुवार को जामिया इमाम जाफर सादिक के सभागार में विशाल रक्तदान शिविर
लगाकर 25 यूनिट से अधिक रक्तदान कराया साथी ही सैकड़ो लोगो का पंजीकरण कर
समय समय पर रक्तदान करने का एलान किया है ।
इस मौके
पर रक्तदान शिविर में उपस्थित शिया धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने कहा
कि इंसानियत का खून इन्सान और इन्सानियत को बचाने में ही लगाना चाहिये ।
यही कर्बला की जंग के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
इस्लाम
के नाम पर दूसरों की जान लेने जैसा कार्य वास्तविक इस्लाम नहीं बल्कि
यज़ीदियत की पैरवी करने वाले तथा यज़ीदियत की शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले
तथाकथित मुसलमानों के बुरे कारनामे मात्र है । और हकीकत भी यही है कि
करबला के मैदान में सत्ता पर बैठे सीरिया के तत्कालीन बादशाह यज़ीद ने अपनी
ताकत का दुरुपयोग करते हुए पैगंबर-ए-रसूल हज़रत मोहम्मद साहब के परिवार के
सदस्यों के साथ जो ज़ुल्म किया उन्हें तीन दिनों तक भूखा-प्यासा रखकर कत्ल
करने व कत्ल करने के बाद शहीदों की लाशों पर घोड़े दौड़ाने और लाशों से
शहीदों के सिर काटकर उन्हें भाले की नोक पर बुलंद कर जुलूस में शामिल करने
जैसा क्रूरतापूर्ण कार्य इस्लामी इतिहास की सबसे पहली व सबसे बड़ी आतंकवादी
घटना थी । आज दुनिया में जहां-जहां आतंकवाद इस्लाम के नाम पर फैलाया जा
रहा है वह नि:संदेह यज़ीदी शिक्षाओं से ही प्रेरित है पैगंबर हज़रत मोहम्मद
साहब एवं कुरानी शिक्षाओं से नही ।
हुसैनी ब्लड
डोनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सैय्यद हसन मेहदी ने कहा कि इस्लाम का अपहरण
करने की कोशिश करने वाले इन क्रूर,अत्याचारी तथा बेगुनाह इंसानों पर ज़ुल्म
ढाने वाले लोगों को इसका माकूल जवाब दिए जाने की ज़रूरत है । और हज़रत
इमाम हुसैन की याद में तथा करबला के शहीदों के नाम पर लगने वाले रक्तदान
शिविर इस दिशा में एक बड़े और रचनात्मक कदम साबित हो सकते है । इसमें कोई
शक नहीं कि ऐसे रक्तदान शिविर इस्लाम,मुसलमान तथा इस्लामी शिक्षाओं की
धूमिल होती जा रही छवि को साफ करने में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे ।
हुसैनी
ब्लड डोनर्स एसोसिएशन के महासचिव पत्रकार आरिफ़ हुसैनी ने कहा कि हज़रत
इमाम हुसैन के किसी अनुयायी के रक्तदान के परिणामस्वरूप किसी दूसरे इंसान
की जान बचती हो तो करबला के शहीदों के प्रति इससे बड़ी श्रद्धांजलि आखिर और
क्या हो सकती है । हज़रत इमाम हुसैन के परस्तारों को यह बात बखूबी अपने
ध्यान में रखनी चाहिए कि जिस प्रकार 1400 वर्ष पूर्व हज़रत इमाम हुसैन ने
अपना व अपने पूरे परिवार का रक्त देकर इस्लाम धर्म की छवि को दागदार होने
से बचाया था वैसी ही ज़िम्मेदारी आज हज़रत इमाम हुसैन के चाहने वालो पर भी आ
पड़ी है । लिहाज़ा इस ज़िम्मेदारी को भी कुर्बानी के उसी जज़्बे के साथ
निपटने की ज़रूरत है ।
इस मौके पर नजमुल हसन नजमी ,
तहसीन अब्बास सोनी , मुशरान जाफ़री , ग़ज़नफर , सभासद सदफ़ क़ासिद हुसैन ,
सादिक हुसैन , जिब्रान , हसन मेहदी रूमी , समर हैदर अज़मी , शाहरुख खान ,
नौशाद हुसैन , जुल्फेकार अली , सक्षम राज , सद्दाम समसाद , मोहम्मद सोहराब ,
आक़िफ़ हुसैनी , रिज़वान हैदर , शाहिद सहित दर्जनों धर्मगुरुओं के साथ भारी
संख्या में लोग मौजूद रहे ।