
जौनपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना और शौचालय योजना में जमकर लूट मची है,अधिकारी भी जांच के नाम पर लीपापोती कर रहे हैं,तभी तो ये योजनाएं केवल कागजों में ही गुलाबी हैं बाकि जमीन पर दम तोड़ दे रही हैं,जांच के नाम पर अधिकारियों की लापरवाही घोटालेबाजों के हौंसलों को सींचने का काम कर रही है।
मुफ्तीगंज विकास खण्ड के मेहौड़ा गांव में लाभार्थियों ने ग्राम प्रधानपति पर खुलेआम दिन के उजाले में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है ,ग्राम प्रधानपति जो कि पेशे से सरकारी शिक्षक भी है लेकिन गांव में विकास की योजनाओं का पैसा ठिकाने लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता है ,योजनाओं का बाकायदा रेट फिक्स है, गांव की मालती देवी,इंद्रवती देवी, बबिता देवी,जडवती देवी,राकेश कुमार समेत दर्जन भर से अधिक लोगो ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधानपति द्वारा एक शौचालय के नाम पर 2-2 हजार की वसूली की जाती है और आवास योजना में प्रति लाभार्थी 10 से 15 हजार की वसूली की जाती है,पानी सिर से उपर गुजरने पर एक दर्जन से अधिक लाभार्थियों ने जिलाधिकारी से शिकायत भी की लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा ,क्योंकि बीते 20 जून को जांच जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपी,लापरवाही का आलम देखिये जनाब ने 3 अगस्त को गांव पहुंचकर जांच की और कई खामियां भी देखने को मिलीं शौचालय और आवास को तो छोड़िये कई ऐसे विकास कार्य जो केवल कागजों की ही शोभा बढ़ा रहे थे,जमीन पर उनका नामोंनिशां तक नहीं थाजिसका पैसा भी निकाल लिया गया था मौके पर मौजूद लोगों ने अपना दर्द बताया कि बिना पैसे लिए प्रधान हों या प्रधानपति कोई काम नहीं करते
सरकारी योजनाओं का गला घोंटने में केवल ग्राम प्रधान ही नहीं अधिकारियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है क्योंकि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है,जांच रिपोर्ट का क्या हुआ किसी को नहीं पता है,अधिकारी फाइल दबाने में जुटे हैं ,प्रधान और प्रधानपति पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त है चेहरे पर 12 बजे थे लेकिन ग्राम प्रधान की मानें तो उसके जितना काम किसी ने नहीं किया है।
DIOS की जांच का क्या हुआ किसी को नहीं पताDPRO से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होनें भी अपनी गर्दन बचाने के लिए फिर से जांच कराने की बात कही और अधिकारियों का रटा रटाया जबाव भी जनाब देना नहीं भूले कि अगर जांच में कोई दोषी पाया जाता हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
घोटालेबाज पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में सेंध मार रहे हैं और अधिकारियों की लापरवाही उनके लिए संजीवनी साबित हो रही है,इस मामले में किसे बचाने की कोशिश हो रही है ये तो अधिकारी ही जानें लेकिन जो आरोप लगे हैं वो बहुत गम्भीर हैं,अगर पात्रों से वसूली की गई है और विकासकार्य किये बिना ही पैसा निकाला गया है तो जाहिर सी बात है इसमें ब्लॉक स्तर का अधिकारी या कर्मचारी भी जांच के घेरे में आयेगा।
मजे की बात है कि ग्रामप्रधान पति राजमणि यादव प्राथमिक स्कूल का शिक्षक होने के बाद भी देखिये कैसे गांव के विकास की गंगा बहाने बात मीडिया से बता रहे है।