विभाग एमडीएम के लिए नहीं देता पर्याप्त धन

जौनपुर। परिषदीय विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना को लेकर प्रधानाध्यापक परेशान हैं। उन्हें छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या के आधार पर कंवर्जन कास्ट की धनराशि नहीं दी जाती। जिसके चलते ज्यादातर विद्यालयों का रुपया विभाग के ऊपर निकल रहा है। विभाग अपनी ओर से 52 प्रतिशत बच्चों के हिसाब से ही भुगतान करता है। आलम यह है कि बहुत से प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन के लिए अपनी जेब से रूपये लगा रहे हैं। विभाग की ओर से प्राथमिक विद्यालयों में प्रति बच्चा 4.48 रूपये और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रति बच्चा 6.71 रूपये के हिसाब से कंवर्जन कास्ट का भुगतान किया जाता है। कुछ माफिया तो बच्चों की ज्यादा संख्या दर्शाकर विभाग से रूपये ले लेते हैं तो वहीं कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जहां छात्र-छात्राओं की उपस्थिति 80 प्रतिशत से ज्यादा रहती है। जब विभाग को डाटा उपलब्ध कराया जाता है तो अपने हिसाब से ही संख्या निर्धारित करके उन्हें भुगतान हो रहा है। शेष बच्चों का समायोजन अगले महीने में होता है। योजना की जिला समन्वयक हिना खान ने बताया कि विभाग की ओर से संख्या का निर्धारण नहीं किया गया है। निरीक्षण के आधार पर जितने का उपभोग दिखाया जाता है उसके आधार पर ही भुगतान किया जाता है।  एक ही परिसर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को आपस में मर्ज होने के बाद प्रधानाध्यापकों को जानकारी नहीं दी है कि विद्यालय में कितने रसोइयों का चयन किया जाए।  दस प्रतिशत विद्यालयों में बच्चों को दूध दिया जाता है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने बेसिक शिक्षा विभाग से दूध के बदले अन्य चीजों के वितरण के सुझाव मांगे गए थे। जिसपर विभाग की ओर से ग्लूकोज बिस्कुट के वितरण का सुझाव दिया गया है। विभाग के अधिकारी कहते हैं कि  खंड शिक्षा अधिकारियों से विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। उपस्थिति चेक कराई जा रही है। जहां उपस्थिति सही रहती है वहां उपभोग प्रमाण पत्र के आधार पर भुगतान किया जा रहा है।

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