आस्था का प्रतीक बाबा गूदरनाथ धाम
https://www.shirazehind.com/2019/08/blog-post_558.html
जौनपुर। सिगरामऊ क्षेत्र की ऐतिहासिकता का जीता जागता उदाहरण है अति प्राचीनतम मंदिर बाबा गूदरनाथ धाम। सावन माह व महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भक्तों की भारी भीड़ जलाभिषेक करती है। यह मंदिर सिगरामऊ रियासत की धरोहर के रूप में आज भी यहां विराजमान है। रियासत का यह मंदिर तत्कालीन राजा राय रणधीर सिह ने बनवाया था। उस समय उनके हाथों से रियासत के चारों छोर पर शिवालय की स्थापना की गई थी। बाबा गूदरनाथ धाम सहित अन्य तीन मंदिर भी स्थापित किया था। इस मंदिर का पुनरोद्धार बीस साल पूर्व तब शुरू हुआ जब यह एकदम जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ था। उस समय मरम्मत का कार्य बाजार स्थित व्यवसायी विनोद कुमार जायसवाल ने शुरु किया था। बाद में रामफेर मिश्रा, चुन्नीलाल बाबा, लालता प्रसाद पांडेय, राकेश कुमार मिश्रा आदि ने ट्रस्ट बनाकर उसका वर्तमान स्वरूप प्रदान किया। आज इस मंदिर की भव्यता का जो स्वरूप है वह इसकी प्राचीनता को भी दर्शाता है। मंदिर में शिवलिग की स्थापना उसी समय की है। आज लोग पूरी श्रद्धा से शीश नवाकर अपनी मुरादें पूरी करते हैं। मंदिर का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। सावन माह में तो भोर से ही घंट-घड़ियाल बजते रहते हैं, वर्तमान समय मे दिन रात कावरियों द्वारा हर-हर महादेव का जय उद्घोष गूंज रहा है। प्रसिद्ध मंदिर बाबा गूदरनाथ धाम में सावन माह में जहां श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन दर्शन पूजन की व्यवस्था है वहीं कावरियों के लिए सोमवार से लेकर शनिवार तक दर्शन पूजन, भोजन, रहने के लिए स्थान की पूरी व्यवस्था की गई है। इस समय सावन माह में इस शिवालय में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जलाभिषेक कर रही है। इस मंदिर पर महाशिवरात्रि के दिन भारी मेले का आयोजन होता है। मंदिर के पुजारी राम सजीवन दूबे कहते हैं कि यहां सावन माह में कांवरियों का समूह सैकड़ों की संख्या में आकर जल अर्पित करता है। इलाहाबाद, वाराणसी, हरिद्वार, बैजनाथ धाम से श्रद्धालुओं द्वारा जल लाया जाता है।