आस्था और विश्वास का केंद्र प्राचीन शिव मन्दिर

जौनपुर। जिला मुख्यालय से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर खेतासराय क्षेत्र के ग्राम पोरईकला में प्राचीन शिव मंदिर है जहां वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। वहीं सावन माह में विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। रुद्राभिषेक के अतिरिक्त शिवरात्रि के दिन 24 घंटे सदा शिव की आराधना विशेष तौर पर की जाती है। दूसरे दिन आयोजित होने वाले भंडारे में दूर-दराज के लोग शामिल होते हैं। यह मंदिर दूर-दराज के लोगों के लिए भी आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है जहां नित्य लोग जलाभिषेक वह पूजन अर्चन करते रहते हैं इसके अतिरिक कथा व अन्य पूजन इस मंदिर में संपन्न किया जाता है।  पोरईकलां ग्राम में स्थित यह मंदिर प्राचीन शिव मंदिर के नाम से विख्यात है। यूं तो इस मंदिर का इतिहास ही काफी पुराना है जिसे लोग सही स्थिति बता पाने में असहज दिखे लेकिन गांव के कुछ प्रबुद्धजन वह बुजुर्गों का कहना है कि इसका इतिहास लगभग पौने दो सौ वर्ष पुराना है। ¨कवदंती है कि सन 1850 के आसपास यहां मिश्र परिवार ने एक शिव¨लग व कुआं बनवाया था जिसे बाद में एक मंदिर का रुप दिया गया लेकिन कुछ दिन बाद ही उक्त मंदिर के पास से एक विशाल पीपल का वृक्ष उग आया जो मंदिर को धराशाई कर दिया। मंदिर के ईट इसकी जड़ों में फंसे हुए थे जिसकी पूजा अर्चना की जाती रही। विशाल पीपल का वृक्ष होने के नाते मंदिर का अवशेष ही रह गया था। वही शिव¨लग भी खंडित हो चुका था जिसे देख यहां के निवासी उमाशंकर मिश्र ने इसे भव्य मंदिर बनवाने का संकल्प किया। पीपल का वृक्ष सूख जाने के पश्चात लगभग 35 साल पहले यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया और वाराणसी से एक शिव¨लग लाकर प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थापित किया गया। यहां प्रायः कथा, रुद्राभिषेक, सुंदर कांड समेत अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं।

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