शिक्षक कभी रिटायर नही होता: बीएसए
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जौनपुर। हिंदी भवन में आयोजित हुआ शैक्षिक उन्नयन संगोष्ठी व अवकाश प्राप्त शिक्षकों का सम्मान समारोह
उत्तर प्रदेशीय सेवानिवृत्त प्राथमिक शिक्षक कल्याण परिषद द्वारा नगर के हिंदी भवन में शुक्रवार को शिक्षा उन्नयन संगोष्ठी व सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि शिक्षक सेवानिवृत्त के बाद भी समाज और आने वाली पीढ़ी के प्रति उतनी ही जिम्मेदार रहते हैं जितना नौकरी के समय रहते हैं। शिक्षक शिक्षण कार्य की जिम्मेदारियों के बाद समाज को नई दिशा व नई पीढ़ी को नया उर्जा प्रदान करने में लगा देता है। उन्होंने कहा कि प्रमुख रूप से प्राथमिक व जूनियर विद्यालय के शिक्षक ही देश के भविष्य के नवनिर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी दी हुई यही शिक्षा आगे चल कर समाज को नई दिशा देने का काम करती है। बच्चे माता-पिता ही नहीं अपने देश का नाम भी रोशन करते हैं। कहा कि सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब किसी शिक्षक का पढ़ाया हुआ छात्र कोई अधिकारी या कोई अच्छा नेता बनता है तो माता-पिता से कहीं अधिक उसी व्यक्ति पर शिक्षक गर्व महसूस करता है। उन्होंने संगठन के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सत्यदेव सिंह व अन्य सेवानिवृत्त शिक्षकों को शाल व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक नंदराम कुरील ने कहा कि शिक्षक कभी रिटायर नही होता। वह अपने पूरे जीवन तक शिक्षा प्रदान करता है। समाज मे शिक्षक की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है।
प्रदेश अध्यक्ष सत्यदेव सिंह ने कहा कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होते हैं, बल्कि सेवा के बाद इनके कार्य करने का दायरा और भी बढ़ जाता है। आज के परिवेश में गांव व समाज में तमाम तरह की बुराईयां पनप रही हैं। ऐसे में शिक्षकों की जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अवकाश प्राप्त शिक्षक व प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय बहादुर सिंह ने कहा कि बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शिक्षक व शिक्षामित्रों को हर संभव प्रयास करना चाहिए।
अध्यक्षता अवकाश प्राप्त शिक्षक बब्बन दूबे व संचालन जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डा. अतुल प्रकाश ने किया।
वक्ताओं में मो. असलम, टी एन सिंह, पारसनाथ यादव, रमाशंकर, राजनाथ यादव, यदुनाथ सिंह, विजय नारायण सिंह, धनंजय यादव, विजय नारायण तिवारी, मातादीन यादव, जंग बहादुर सिंह, दुर्गा पाठक आदि प्रमुख रहे।