प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी से रॉलेट एक्ट की घावें ताजा हो गयी है-विकास तिवारी
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सोनभद्र में नरसंहार के बाद पीड़ित परिवार से मिलने जा रही प्रियंका गांधी को नरायनपुर पुलिस चौकी जनपद-मिर्जापुर में बगैर एरेस्ट मेमो के गिरफ्तार कर लिया जाना और उन्हे चुनार किले में हिरासत में रखा जाना अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट कानून (काला कानून प्रस्ताव ) की याद ताजा कर दे रहा है । रॉलेट ऐक्ट मार्च 1919 में भारत की ब्रिटानी सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से निर्मित कानून था। यह कानून सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। इसके अनुसार ब्रितानी सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय को बिना कारण बतायें गिरफ्तार कर लें और उसपर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद कर सके। इस क़ानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था।इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस ,सत्याग्रह और प्रदर्शन होने लगे। 13 अप्रैल को सैफुद्दीन किचलू और सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में जलियाँवाला बाग में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई। अमृतसर में तैनात फौजी कमांडर जनरल डायर ने उस भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चलवाईं। हजारों लोग मारे गए। भीड़ में महिलाएँ और बच्चे भी थे। यह घटना ब्रिटिश हुकूमत के काले अध्यायों में से एक है जिसे जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।