समाप्त होता जा रहा कुंओं का अस्तित्व
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जौनपुर । जिले में कुंओं का अस्तित्व धीेरे धीरे समाप्त होता जा रहा है। हिन्दू धर्म में शादी के पहले लोग परंपराओं का निर्वहन करने के लिए कुयें पर जाते है जिला मुख्यालय पर कुएं करीब करीब समाप्त है । मौजूदा समय में 3 हजार 381 गांव वाले इस जनपद में महज 1978 कुएं अब बचे हैं। इनमें भी सैकड़ों कुएं ऐसे हैं, जो अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि यदि हम समय रहते इन कुओं को बचाने की नहीं सोचेंगे तो आने वाली पीढ़ी कैसे पूर्वजों की इस परंपरा का निर्वहन करेंगी। पूर्वज पहले तालाब और कुएं की खोदाई कराते थे। उन्होंने जलाशयों को अपनी परंपराओं से भी जोड़ दिया। हिदू धर्म में इसे भार तोड़ने का संस्कार के रुप में स्वीकार किया गया है। लोकाचार के तहत लोग वर और वधू को उनके-उनके घर परंपराओं के तहत पानी भरे कुएं तक ले जाया जाता है। यह परंपरा पूर्वजों से होती आ रही है। इसका सभी जगह निर्वहन हो रहा है, लेकिन आज 1978 कुएं ही जनपद में बचे हैं। जहां इन परंपराओं को करने के लिए लोगों को पहले से ही पानी भरे कुएं की तलाश करनी पड़ रही है। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि यदि इस समय यह स्थिति है तो आने वाले समय में क्या होगी, क्योंकि लोग अपनी जरुरतों की पूर्ति के लिए इस जल स्त्रोत का भी अस्तित्व समाप्त कर दे रहे हैं।