शिवमन्दिरों में जलाभिषेक तैयारियों जोरों पर

जौनपुर। भगवान शिव को प्रिय सावन मास 17 जुलाई को प्रारंभ हो रहा है। इसे लेकर जिले भर के मंदिरों  परिसर में जलाभिषेक के लिए सफाई तथा अन्यव्यवस्था की तैयारियां जोरों पर चल रही है। हिंदू धर्म में श्रावण मास साल के सभी मास में से अधिक महत्वपूर्ण और पावन माना जाना जाता है। सावन मास में चारों ओर भगवान शिव की आराधना का संगम बहता रहता है। दरअसल श्रावण मास में शुभ सोमवार और सावन शिवरात्रि आती है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. माना जाता है कि श्रावण मास में भगवान शिव शंकर की विधि विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होकर जीवन में खुशियों का आगमन होता है और हर इच्छा पूरी होती है.हिंदू धर्म में लोग श्रावण मास का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। ज्ञात हो कि साल में 12 शिवरात्रियां, हर माह त्रयोदशी की दिन पड़ती हैं. इन 12 शिवरात्रियों में से फाल्गुन शिवरात्रि और सावन शिवरात्रि का महत्व सबसे अधिक है. बता दें कि फाल्गुन शिवरात्रि को महाशिवरात्रि भी कहा जाता है। सावन शिवरात्रि पर विधि पूर्वक भगवान शिव के लिए व्रत रख, पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और भगवान शंकर की असीम कृपा आप पर बरसती रहती है. हर क्षेत्र में कामयाबी की प्राप्ती होती है । तीनों लोक के स्वामी कहे जाने वाले भगवान शिव की पूजा करने के लिए विधि की क्रिया बेहद आसान मानी जानी हैं. ऐसी मान्यता है कि भोले भंडारी का बस सच्चे मन से व्रत रखने और पूजा करने से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं. हालांकि भगवान शिव की उपासना के लिए सावन शिवरात्रि पर इस पूजा विधि से आप भगवान शिव को खुश कर सकते हैं। सावन शिवरात्रि पर सुबह जल्द उठकर नित क्रिया स्नान करने के बाद भगवान शिव के मंदिर जाना चाहिए। मंदिर जाकर बेलपत्र, धतूरा, कच्चे चावल, घी और शहद भगवान शिव को चढ़ाना चाहिए। भोलेनाथ की शिवलिंग के साथ, माता पार्वती, नंदी महाराज का विधि विधान ले जलाभिषेक करें। इसके बाद धूप-दीप जलाकर भगवान शिव की आराधना करें।

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