कारगिल विजय दिवस: छलका शहीदों के परिजनों का दर्द
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जौनपुर। केराकत तहसील के शहीद जवान के परिवार का कारगिल विजय दिवस पर दर्द छलका और राज्य सरकार के बेरुखी पर नाराजगी जतायी। केराकत तहसील से 6 किलोमीटर दूर भौरा ग्राम निवासी शहीद संजय सिंह पुत्र श्याम नारायण सिंह ने भी अपनी शहादत देकर वीर शहीदों के इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शहीद के पिता श्याम नारायण सिंह ने राज्य सरकार के उदासीन रवैया के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए बताएया कि बेटे की शहादत पर हमे गर्व होता है। उन्होंने कहा बेटे के शहीद होने पर तत्कालीन सांसद रामचरित्र निषाद ने शहीद बेटे की पत्नी को पेट्रोल पंप या नौकरी दिलाने का वादा किया पर अभी तक कोई कुछ नही किया गया। शहीद बेटे के नाम की मूर्ति स्थापना, तालाब का नामकरण ,मार्ग का नामकरण भी नही किया जबकि गेट के संबंध में मैंने तहसील से लेकर जिले तक ज्ञापन दिया पर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई हरकत शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के द्वारा नहीं की गई। शहीद के पिता ने कहा के जब तक मेरी सांस में सांस है तब तक मैं अपने शहीद बेटे के लिए तहसील से लेकर जिले तक का चक्कर काटता रहूंगा। शहीद संजय सिंह के भाई व सी आर पी एफ में तैनात सुधीर सिंह का कहना है कि मेरा भाई अमर शहीद है उनके इस बलिदान पर पूरे देश को गर्व है। केराकत तहसील से 5 किलोमीटर दूर तेजपुर ग्राम निवासी शहीद धीरेंद्र प्रताप यादव पुत्र बाबूराम यादव ने भी अपनी शहादत देकर अमर शहीदों के इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शहीद की मां शिवताजी देवी आज के दिन अपने शहीद बेटे के फोटो को देख कर उनकी आंखें भर आती है। शहीद की मां ने बताया कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है शहीद के बड़े भाई त्रिभुवन यादव ने बताया कि केंद्र सरकार जो जो वादे किए थे उसे पूरा किया लेकिन राज्य सरकार जितने भी वादे किए उसे पूरा नहीं किया गया। ना गैस एजेंसी, ना पेट्रोल पंप दिया गया। जौनपुर से चंदवक की ओर जाने वाले रोड हनुमान नगर तिराहे पर उनकी मूर्ति लगवाने के लिए हम लोगों ने केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक के चक्कर काटे आखिर में लाचार होकर अपने पैसों से दो लाख मूर्ति की स्थापना कराई गई। यहां तक कि शहीद परिवार के घर जाने के लिए रोड का निर्माण भी नहीं कराया गया शहीद के भाई त्रिभुवन यादव ने राज्य सरकार की बेरुखी पर काफी नाराजगी जताई।जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर केराकत तहसील क्षेत्र के वीर जवान ने अपनी शहादत देकर अमर शहीद इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शहीद परिवार का दर्द अपने बेटों को याद में अक्सर 26 जुलाई को नम हो जाती है लेकिन वह गर्व से कहते हैं कि बेटे ने जो देश के लिए कुर्बानी दी है उन्हें उस पर नाज है इसी कड़ी में अकबरपुर निवासी श्याम नारायण सिंह के पुत्र जगदीश सिंह ने शहादत देकर अमर हो गए।पूरे गांव को उनपर गर्व है।आज भी शहीद जगदीश सिंह की पत्नी मीना सिंह पति की सपनों को साकार करने के लिए भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा में जुटी हुई हैं। शहीद के पिता श्याम नारायण सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब सहादत की सूचना गांव अकबरपुर पहुंची तो पूरा गांव गम में डूब गया उस समय सांत्वना देने कुछ जनप्रतिनिधि शासन प्रशासन के अधिकारी घर आए थे उन्होंने तरह तरह की घोषणाएं की थी लेकिन आज तक में पूरी नहीं हो सकी शहीद के नाम पर केराकत सुल्तानपुर देवगांव मार्ग का नाम रखने,उनकी प्रतिमा स्थापित करने तथा शहीद परिजन को पेट्रोल पंप देने आदि घोषणाओं पर अमल अभी तक नहीं हो सका।20 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक राजनेताओं अधिकारियों की तरफ से कोई भी परिजनों का हाल जानने का प्रयास नहीं किया। हालांकि मदद के नाम पर 10 बीघा जमीन दी गई जो नाले में है। श्याम नारायण सिंह का कहना है कि जो जमीन प्रशासन उपलब्ध कराया है वह सिर्फ कागजों में है मौके पर जमीन का कोई उपयोग नहीं हो सकता।