मुसहर आवास की परियोजना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी
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जौनपुर। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि मुसहर आवास के नाम पर शुरू की गई परियोजना ही सरकारी महकमे के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। हास्यास्पद बात यह है कि इस बारे में जिले के आला अधिकारी से लेकर कोई भी कुछ बता पाने में असमर्थ है। वर्ष 2005-06 में सुइथाकलां विकास खंड के दो गांवों क्रमशः बुमकहां व अशोकपुर में लाखों की लागत से वनवासी समुदाय के लिए आवास व सामुदायिक भवन का निर्माण शुरू हुआ। दोनों जगहों पर कुल चालीस परिवारों के लिए आवास का निर्माण होना था। कथित तौर पर यह योजना तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग यादव द्वारा शुरू की गई थी। निर्माण कार्य का जिम्मा जिला नगरीय विकास अभिकरण डूडा को दिया गया। जिसने अपने स्तर पर ठेकेदारों को काम सौंपा। आज दशा यह है कि कहीं छत लगी है तो कहीं वह भी नहीं लगी। फर्श, खिड़कियों आदि की तो बात ही छोड़ दें। छत भी ऐसी की बारिश में एक बूंद भी पानी बाहर न जाए सब का सब घर के अंदर। सोलर लाइट की जगह सिर्फ खम्भे लगे। सामुदायिक भवन में छत ही नहीं लगी और उसके अंदर आज विशाल पेड़ उग आए हैं। हालांकि बुमकहां व अशोकपुर में निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदार राधेश्याम पाल के मुताबिक योजना धन के अभाव में लटक गई। उधर वनवासी समुदाय के ही सुक्खू के अनुसार मुसहर समाज के लोग इसके लिए तहसील तथा जिला मुख्यालय पर भी गए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आज 60 वर्षीय सुक्खू कहते हैं, पूरे 13 वर्षों से हम सिर पर एक अदद छत का सपना देख रहे हैं, लेकिन अब नहीं लगता कि हमारी आस पूरी होगी। यही हाल उसकी पत्नी दुर्गावती का भी है। आज हालत यह है कि वनवासी समुदाय तो अपने छप्पर में ही रह गए और सामने अधूरे आवास उन्हें मुहं चिढ़ा रहे हैं।