अवैध कब्जा न रूका तो खत्म हो जायेगे जलाशय
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जौनपुर । कुआं, पोखरा, ताल-तलैया, नाले खुद की पहचान खोते जा रहे हैं। वजह, इन पर अतिक्रमणकारियों की कुदृष्टि पड़ गई है, जो अधिकारियों की चुप्पी का लाभ उठाते हुए इन जलाशयों की भूमि को खुद अपनी चंगुल में ले रहे हैं। इससे स्थिति खराब होती जा रही है। सरकार की पहल के बावजूद अस्तित्व को लेकर ये जलाशय संघर्ष कर रहे हैं। उधर इसका खामियाजा पशु-पक्षियों को भी प्यास बुझाने के लिए कोसों भटकना पड़ रहा है। ऐसे में जरुरत है इन अतिक्रमणकारियों को रोकने की, लेकिन विवाद की डर से कोई साहस नहीं जुटा पा रहा है। इससे ताल- तलैयों का अस्तित्व संकट में है। एक समय था जब पूर्वज तालाब-कुएं की खोदाई कराते थे। शादी- विवाह में परंपराओं को निभाने के लिए इन जलाशयों के पास जाते थे। इन कुएं-तालाबों को खोदाई कराने वालों के नाम से जाना जाता है। बाद में उनके वंशज का भी नाम उनसे जुड़ जाता। इससे गर्व महसूस होता था। बस्ती में अगलगी और बाढ़ आने पर पानी को इन कुएं और तालाबों में भेज देते, लेकिन जनसंख्या वृद्धि होने के साथ-साथ इन संसाधनों को खुद से दूर रखने लगे। स्थिति यह है कि 45 लाख से अधिक आबादी, 1978 कुएं और 19 हजार तालाब बचे हैं। इनमें करीब 10 फीसद तालाबों पर कब्जे की शिकायतें हैं। कोर्ट ने भी जलाशयों की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को खाली कराने को कहा है। अधिकारी भू-माफियाओं के खिलाफ श्रावस्ती माडल अभियान चलाने की बात करते हैं, लेकिन यह अभियान पूरी तरह से फ्लाप है। मौजूदा समय में स्थिति यह है कि लोग इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक से किए हैं, पर आज तक निस्तारण नहीं हो सका। पवांरा प्राथमिक विद्यालय के बगल स्थित तालाब पर अतिक्रमण किया गया है। ग्राम प्रधान जयदेवी ने कहा कि तालाब का सीमांकन करा दिया जाए तो वह उसका जीर्णोद्धार कराने के लिए तैयार हैं। काछीडीह ग्राम पंचायत के तारडीह मौजे में स्थित तालाब मात्र राजस्व रिकॉर्ड में बचा हुआ है, लेकिन मौके पर तालाब का अस्तित्व अतिक्रमण के कारण समाप्त हो चुका है। कमालपुर गांव के तालाब पर भी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, जिससे तालाब का दायरा सिकुड़ जा रहा है।