बारिश में अधिक खतरनाक साबित होते है विषधर

जौनपुर। बारिश के मौसम में विषधर उग्र हो जाते हैं। इस सीजन में आम दिनों की अपेक्षा सर्पदंश की घटनाएं पांच गुना बढ़ जाती हैं। सांपों के डंसने पर दो तिहाई मौतें हार्ट अटैक से होती हैं।  जुलाई का महीना कोबरा, करैत आदि सांपों के प्रजनन का काल होता है। जब वह मादा के साथ जोड़े बनाते हैं तब आस -पास किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करते। ऐसे समय में वह आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में तीन माह तक विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। पूर्वांचल में पाए जाने वाले कोबरा, करैत ही विषैले होते हैं। इनके अलावा धामिन, डेड़हा, दो मुंहा आदि भुजंग विषधर की श्रेणी में नहीं आते। आमतौर पर सांप खेतों में चूहों द्वारा बनाए गए बिल में रहते हैं। बारिश के सीजन में बिलों में पानी भर जाने के कारण यह चूहों का पीछा करते हुए घरों तक पहुंच जाते हैं। यह तभी काटते हैं जब कोई इन्हें छेड़ता है। पक्षी विज्ञानियों के मुताबिक सांप बहरा होने के कारण सुनते नहीं हैं। आंखों के सहारे हिलती-डुलती चीज को देखकर और धरती के कंपन के अनुमान पर आक्रमण करते हैं। सांप जब हमलावर दिखें तो भागने की बजाए उनके ऊपर कपड़ा या रूमाल फेंकना चाहिए। जिससे वह उसमें फंस जाएं।  विश्व में 216 सांप की प्रजातियां हैं। इनमें सिर्फ 52 प्रजातियां विषैले होती हैं। भारत विशेषकर पूर्वांचल में कोबरा, करैत व बाइपर ही विषैले होते हैं। उन्होंने बताया कि देश में प्रति वर्ष औसतन दो लाख लोग सर्प दंश के शिकार होते हैं। इनमें 35 से 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। मरने वालों में दो तिहाई का कारण हृदयाघात होता है। डा.¨सह ने बताया कि कोबरा आमतौर पर दिन में काटता है। इसके दंश वाले स्थान पर सूजन आ जाती है तथा असहनीय दर्द होता है। पीड़ित को आंखों से दिखना कम हो जाता है। बेहोश होने के साथ ही सांसों की गति कम हो जाती है और दिल काम करना बंद कर देता है। जबकि करैत रात को काटता है। इसके काटने पर सूजन नहीं होती। लोग मच्छर आदि काटने की बात मानकर बेपरवाह हो जाते हैं। जब तक सर्प दंश का एहसास होता है तब तक हालत काफी बिगड़ जाती है। सर्प दंश के बाद व्यक्ति को भागना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे रक्त का संचार बढ़ने से जहर तेजी से फैलने लगता है। घटना के बाद व्यक्ति को तुरंत बैठ जाना चाहिए और काटे स्थान पर पांच से छह इंच ऊपर बांध देना चाहिए ताकि जहर आगे न बढ़े। इसके तत्काल बाद उसे चिकित्सक के पास तुरंत ले जाना चाहिए। पीड़ित को तत्काल ऐसे चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए जहां एंटी स्नेक वेनम के अतिरिक्त सांस और दिल के सहायता संबंधी उपकरण उपलब्ध हों। झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ने से जान गंवानी पड़ सकती है।

Related

news 4091799271661555142

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item