तीन दिन बाद भी नहीं मिली कोई सहायता, शासन-प्रशासन बना मूकदर्शक
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जौनपुर। पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश के चलते जनपद के कई गांवों
में लोगों के आशियाने उजड़ गये। रिहायशी मकान व छप्पर के जमींदोज होने से
जहां घर-गृहस्थी का सारा सामान नष्ट हो गया, वहीं कई परिवार के सामने रहने
की समस्या खड़ी हो गयी। जनपद के खुटहन क्षेत्र के ओइना गांव में घरों व व
खेतों में पानी घुसने से पीड़ित परिवारों की स्थिति जानने पहुंचे पत्रकार ड.
प्रदीप दूबे ने अतिवृष्टि से प्रभावित गरीब परिवारों की दयनीय दशा देखी।
देखा गया कि पानी से घिरा पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे आ गया है। उक्त
गांव निवासी पीड़ित श्यामरथी व बसन्त लाल ने आखों में आंसुओं का सैलाब लिये
अपनी दशा बयां करते हुये कहा कि बुधवार को अनवरत हुई बारिश में हमारा
रिहायशी कच्चा मकान व छप्पर 3 तरफ से पानी से घिर गया। हमारा पूरा परिवार
जीवन बचाने के लिये खुले आसमान के नीचे भीगने को मजबूर है। पीड़ित के अनुसार
देखते ही देखते उनका आशियाना जलमग्न होने के साथ जमींदोज हो गया और उसमें
रखा गृहस्थी का सारा सामान नष्ट हो गया। इसी गांव के वरूणदेव शुक्ल का
रिहायशी मकान/छप्पर बारिश की भेंट चढ़ गया। हैरत की बात यह है कि सबका साथ
सबका विकास का दम्भ भरने वाली भाजपा सरकार में पीड़ितों के आंसू पोंछने वाला
कोई नहीं है। तीन दिन बाद भी शासन-प्रशासन के किसी प्रतिनिधि द्वारा पीड़ित
परिवार को तात्कालिक सहायता नहीं उपलब्ध करायी गयी। गांव के निवर्तमान
प्रधान विमलेश शुक्ला द्वारा तात्कालिक सहायता के कुछ प्रयास किये गये
लेकिन वह पीड़ित परिवार के जीवन यापन के लिये पर्याप्त नहीं हैं। बेघर
परिवारों ने समाचार पत्र के माध्यम से अपनी पीड़ा शासन-प्रशासन तक पहुंचाने
का प्रयास किया है। अब देखना यह है कि सम्बन्धित अधिकारी या प्रतिनिधि की
तन्द्रा कब भंग होती है और प्रशासन त्वरित आर्थिक सहायता कब उपलब्ध कराता
है।