स्कूली वाहन से ढोये जा रहे यात्री

जौनपुर। डग्गमार वाहन संचालकों को पुलिस-प्रशासन का किसी प्रकार का खौफ नहीं रह गया है। नियमों को ताक पर रखते हुए स्कूली वाहनों में सवारियों को ढोया जा रहा है। इस मुसीबत से नगर ही नहीं ग्रामीण की जनता भी त्रस्त है। खटारा वाहनों से मुसाफिरों का सफर सांसत में बीत रहा है। शिकायतों के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से स्थिति खराब हो रही है। लचर परिवहन व्यवस्था का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से डग्गामार वाहन मौत बनकर सड़कों पर बेखौफ दौड़ रहे हैं। वाहनों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने के साथ ही संबंधित स्थानों तक जाने के लिए उन्हें घंटों इंतजार कराया जाता है। यात्रियों द्वारा विरोध करने पर चालकों द्वारा झगड़ा भी किया जाता है। स्कूली वाहनों में भी धड़ल्ले से सवारियों को भरा जा रहा है। नियमों का पालन नहीं करने की वजह से दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। आकड़ों के मुताबिक 75 फीसद दुर्घटनाएं चालकों की गलती से होती हैं। ओवरटेक करना, शराब पीकर वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, सीट बेल्ट व हेलमेट का प्रयोग नहीं करने से दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। महानगरों के रिजेक्ट वाहनों पर यात्री सफर करने को मजबूर हैं। फिटनेस के बिना चल रहे वाहनों के रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त होने से आए दिन यात्री घायल हो रहे हैं। वाहनों के फिटनेस के नाम पर भी खानापूर्ति की जा रही है। इतना ही नहीं बिना टेक्निशियन के परीक्षण किए फिटनेश प्रमाणपत्र जारी करने जैसी बातें भी सामने आ रही हैं।

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