विद्यालयों में अभिभावक हो रहे शोषण का शिकार
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जौनपुर। जिले के प्राइवेट विद्यालयों के संचालकों की मनमानी के कारण अभिभावक त्रस्त हैं, क्योंकि इन विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले किताबों व ड्रेस मैटेरियल्स के नाम पर विद्यालय संचालकों द्वारा मनमानी वसूली अभिभावकों से किए जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। कतिपय विद्यालयों के संचालक अपने स्कूल से बच्चों को किताब-कापी व ड्रेस नहीं बेचते। उन्होंने इसके लिए दुकानें निर्धारित कर रखी है। जहां से अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए किताब-कॉपी व ड्रेस खरीदने को बाध्य होना पड़ता है और वहां साधारण ड्रेस व किताबों के लिए काफी ज्यादा कीमत दुकानदार को देनी पड़ती है। दुकानदार भी खुलेआम कहते हैं कि हम लोग क्या करें, इसमें विद्यालय के संचालक को भी कमीशन देना पड़ता है। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने की लाचारी में सब कुछ जानते हुए भी अभिभावकों को शोषण का शिकार होना पड़ता है। दो वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राइवेट विद्यालयों के लिए गाइडलाइन तय किया था। इसके तहत छुट्टियों की फीस अभिभावकों से नहीं लेनी थी, किताब-कॉपी व ड्रेस के लिए किसी खास दुकान पर जाने के लिए अभिभावक को बाध्य करना दंडनीय होगा। वहीं फीस के संदर्भ में क्षेत्रीय खंड शिक्षा अधिकारी व बीएसए को लिखित जानकारी देनी होगी कितु दो वर्ष बाद भी यथार्थ के धरातल पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। सब कुछ पहले की तरह चल रहा है। अभिभावक लगातार शोषण के शिकार हो रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में योग्यतम शिक्षकों की नियुक्ति सरकार ने की है। निःशुल्क किताब, निश्शुल्क ड्रेस व दोपहर में निशुल्क भोजन की व्यवस्था है। सबकुछ होते हुए भी परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई का वातावरण नहीं है। यहां तक की परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ने को भेजते हैं। ऐसे में सरकार की तरफ अभिभावक टकटकी लगाए देख रहे हैं कि शायद कोई ऐसा सख्त नियम-कानून बने, जिससे प्राइवेट स्कूल के संचालक अभिभावकों का शोषण न कर सकें।