30131 पार्थिव शिवलिंग का विविधत पूजन
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जौनपुर। बड़े हनुमान जी के मन्दिर रासमण्डल पर 30131 पार्थिव षिवलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का आयोजन पूरी श्रद्धा के साथ किया गया। पूजन के प्रांरभ में पार्थिव षिव लिंग की प्रतिष्ठा कर यजमानों ने विधिवत षिवंिलग का पूजन किया। इस अवसर पर आचार्य डा0 रजनी कान्त द्विवेदी के निर्दषन में कई जिलों से पधारे वैदिक विद्वानों द्वारा एकादषी विधि से महारूद्राभिषेक यजमानों ने किया। आचार्य द्विवेदी ने कहा कि कहा कि षिव की उपासना श्रावण मास में विषेष फलदायी है। विषेष कर पार्थिव षिवलिंग का विषेष महत्व है। कलियुग में पार्थिव षिव लिंग का पूजन करने वालों पर षिव की कृपा सदैव बनी रहती है। मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने से पूर्व समुद्र तट पर बालू का षिवलिंग बनाकर पूजन किया था। मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए महामृत्युन्जय मंत्र का जाप किया जाता है। उन्होने बताया कि कलयुग में सबसे पहले पार्थिव पूजन सबसे पहले कुष्माण्ड ऋषि के पुत्र मण्डप ऋषि ने प्रभु के आदेष पर जगत कल्याण के लिए किया था। पार्थिव षिव लिंग का पूजन अलग अलग कामनाओं के लिए अलग अलग संख्या निर्धारित है। धनार्थी के लिए 500, पुत्रार्थी के लिए 1500, दयार्थी के लिए 300, भयमुक्ति के लिए 200, राज्य भय से मुक्ति के लिए 500, समस्त कामनाओं के पूर्ति के लिए 1000 पार्थिव षिव का पूजन रूद्राक्ष धारण कर ललाट पर भस्म लगाकर करना चाहिए।