रोहिणी नक्षत्र की बेरूखी से किसानों की चिन्ता बढ़ी
https://www.shirazehind.com/2019/06/blog-post_925.html
जौनपुर। रोहिणी बरसे मृग तपे कुछ-कुछ आद्र्रा जाए, कहे घाघ सुन घाघरी श्वान भात नहीं खाय, घाघ कवि ये पंक्तियां किसानों के लिए मौसम सूचक हुआ करती थीं। कभी किसान घाघ की इन कविताओं के सहारे ही भावी मौसम का पुर्वानुमान और खरीफ की उपज का अंदाज लगा लेते थे। समय बीतने के साथ मौसम के बदलते मिजाज ने सबकुछ बदलकर रख दिया है। कब कौन सी नक्षत्र चढ़ी और कब उतर गई इसका पता ही नहीं चल पाता है वजह कि सदियों पुरानी ये भविष्यवाणियां मौसम के मिजाज के आगे नतमस्तक सी हो गई हैं। ज्ञात हो कि पिछले 25 मई से रोहिणी नक्षत्र चल रही है इसमें होने वाली बारिश खरीफ की फसल के लिए काफी अच्छी मानी जाती है, लेकिन अब तक हल्की बूंदाबांदी तक नहीं हो पाई है। इससे किसानों को एक बार फिर मौसम की दगाबाजी का भय सताने लगा है। जानकारों के अनुसार प्रत्येक नक्षत्र की समयावधि एक पखवारे की होती है लिहाजा रोहिणी नक्षत्र आठ जून को उतर गयी, लेकिन मौसम के तेवर में कोई कमी नहीं है। वैसे भी रोहिणी नक्षत्र के बाद मृगडाह नक्षत्र का क्रम आता है जिसमें मौसम का गर्म होना खरीफ फसल के अनुकूल माना गया है। वैज्ञानिकों की भाषा में प्री मानसून कहलाने वाली इस बारिश के न होने से किसानों के माथे पर बल पड़ने लगा है। प्रचंड गर्मी और धूप की तल्खी को देखकर किसान अभी से चितित हो उठे हैं। मौसम की तल्खी में कमी होने के तमाम कयास निर्मूल साबित हो रहा है। मौसम का रुख बेहद गर्म है। बुधवार को तीखी धूप और चिपचिपाती गर्मी से लोगबाग पूरे दिन परेशान रहे। उमस की वजह से कूलर व पंखा तक बेकार साबित हो रहे थे। इसमें लगातार हो रही बिजली कटौती कोढ़ में खाज बनी रही। चिपचिपाती गर्मी ने पूरे दिन लोगों को बेहाल किया।