कोटे की दुकानों पर नहीं थमी मनमानी

जौनपुर। शासन के सख्त रुख के बावजूद सरकारी सस्ते गल्ले के दुकानदार अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसकी वजह से पात्रों को मानक के अनुसार खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते कार्डधारकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पात्रों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए भले ही आधार कार्ड व ई-पॉस मशीन की व्यवस्था की गई हो, लेकिन वितरण में कोटेदारों की ही चलती है। आए दिन ई-पॉस मशीन के खराब होने या सवेर डाउन होने की बात कह कर पात्रों को वापस कर दिया जा रहा है। कहीं-कहीं तो कोटेदार आंख में सीधे धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। आलम यह है कि शासन स्तर से पात्र गृहस्थी के पात्रों को प्रति यूनिट पांच किलोग्राम खाद्यान्न देने का निर्देश है। इसमें दो रुपये प्रति किग्रा की दर से गेहूं व तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से चावल दिया जाना है, जबकि कोटेदारों द्वारा पात्रों को पांच की जगह प्रति यूनिट चार किलो ही खाद्यान्न दिया जा रहा है। वह भी एक रुपये प्रति किग्रा अधिक रेट पर। विरोध करने पर ई-पॉस मशीन खराब होने का बहाना बनाकर लोगों को वापस कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि पात्र व्यक्ति कोटेदार की शर्तो पर राजी नहीं हो जाता। इस बाबत कोटेदार अधिकारियों से संस्तुति मिलने का हवाला देकर खुलेआम चोरी कर रहे और प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं। लोगों का कहना है कि नए नियम से एक माह बेचो, एक माह बांटों वाले रिवाज पर रोक लगने का अनुमान था, लेकिन कोटेदार तू डाल-डाल, मैं पात-पातश् की तर्ज पर काम कर रहे हैं। ले-देकर इसमें पात्र लोगों का वाजिब हक मारा जा रहा है। कार्डधारकों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराते हुए जांचकर कार्रवाई की मांग की है।

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