जेई , सिक्रेटरी , प्रधान समेत 18 लोगो के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा
https://www.shirazehind.com/2019/06/18.html
जौनपुर। सिकरारा थाना क्षेत्र के मलसिल निवासी अधिवक्ता के प्रार्थना
पत्र पर कोर्ट ने जेई, ग्राम पंचायत अधिकारी, प्रधान समेत 18 आरोपितों के
खिलाफ जालसाजी व गबन की प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश थानाध्यक्ष सिकरारा को
दिया। वादी द्वारा सूचना के अधिकार में राज्य सूचना आयोग को अपील करने व
अधिकारियों का वेतन रोकने के आदेश पर मिली सूचना के आधार पर लाखों के
घोटाले का खुलासा हुआ।
अधिवक्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट अजीत कुमार यादव ने कोर्ट में धारा 156(3)के तहत दरखास्त दिया कि सूचना के अधिकार के तहत ग्राम पंचायत अधिकारी व वर्तमान प्रधान द्वारा मनरेगा योजना के तहत रोजगार गारंटी निधि के खाते में कराए गए कार्यों के आय-व्यय के संबंध में प्रमाणित अभिलेख की मांग की गई। अभिलेख न मिलने पर अपील की गई। तब जिला विकास अधिकारी द्वारा प्रकरण का निस्तारण न होने पर अधिकारियों का जनवरी 2018 से वेतन बाधित कर दिए जाने का पत्र भेजा गया। राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की गई। आयोग के नोटिस पर आवेदक को ग्रापं अधिकारी ने 29 सितंबर 2018 को आंशिक अभिलेख प्राप्त कराया जिसमें ग्राम प्रधान, ग्रापं अधिकारी व जेई ने साजिशन प्रधान के पुत्र व अन्य को जब कार्ड पर भुगतान दूसरी जाति का दिखाकर किया है। बीसी जाति के कुछ लोगों का कार्ड एससी जाति में बना व भुगतान हो गया तथा कुछ अन्य जातियों का भुगतान एसटी दिखा कर करा लिया गया। नाली की सफाई में कई हजार रुपये का भुगतान कराया गया। कुछ मजदूरों के खाते में बिना कार्य के 14 दिन का भुगतान किया गया। जेई द्वारा कार्य दिवस 420 दिन की मजदूरी 73,421 रुपये मास्टर रोल के अनुसार सामग्री पर कोई व्यय नहीं है फिर भी सामग्री व्यय अधिक दिखा कर गबन किया गया। सामग्री पर व्यय दिखाकर 42,250 रुपये अधिक धनराशि का गबन किया गया। कोर्ट ने पाया कि कार्ड धारकों की जाति में कूटरचना करके कार्ड बनाया गया है तथा धनराशि प्राप्त की गई है। नाली की सफाई में किए गए भुगतान में अनियमितता है। सार्वजनिक धन का आरोपितों द्वारा गबन किया गया है।
अधिवक्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट अजीत कुमार यादव ने कोर्ट में धारा 156(3)के तहत दरखास्त दिया कि सूचना के अधिकार के तहत ग्राम पंचायत अधिकारी व वर्तमान प्रधान द्वारा मनरेगा योजना के तहत रोजगार गारंटी निधि के खाते में कराए गए कार्यों के आय-व्यय के संबंध में प्रमाणित अभिलेख की मांग की गई। अभिलेख न मिलने पर अपील की गई। तब जिला विकास अधिकारी द्वारा प्रकरण का निस्तारण न होने पर अधिकारियों का जनवरी 2018 से वेतन बाधित कर दिए जाने का पत्र भेजा गया। राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की गई। आयोग के नोटिस पर आवेदक को ग्रापं अधिकारी ने 29 सितंबर 2018 को आंशिक अभिलेख प्राप्त कराया जिसमें ग्राम प्रधान, ग्रापं अधिकारी व जेई ने साजिशन प्रधान के पुत्र व अन्य को जब कार्ड पर भुगतान दूसरी जाति का दिखाकर किया है। बीसी जाति के कुछ लोगों का कार्ड एससी जाति में बना व भुगतान हो गया तथा कुछ अन्य जातियों का भुगतान एसटी दिखा कर करा लिया गया। नाली की सफाई में कई हजार रुपये का भुगतान कराया गया। कुछ मजदूरों के खाते में बिना कार्य के 14 दिन का भुगतान किया गया। जेई द्वारा कार्य दिवस 420 दिन की मजदूरी 73,421 रुपये मास्टर रोल के अनुसार सामग्री पर कोई व्यय नहीं है फिर भी सामग्री व्यय अधिक दिखा कर गबन किया गया। सामग्री पर व्यय दिखाकर 42,250 रुपये अधिक धनराशि का गबन किया गया। कोर्ट ने पाया कि कार्ड धारकों की जाति में कूटरचना करके कार्ड बनाया गया है तथा धनराशि प्राप्त की गई है। नाली की सफाई में किए गए भुगतान में अनियमितता है। सार्वजनिक धन का आरोपितों द्वारा गबन किया गया है।