प्रत्याशियों को आने लगी परदेशियों की याद
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जौनपुर। रोजी रोटी के जुगाड़ में दूसरे शहरों में रह रहे लोगों के सगे संबंधियों व मां-बाप से ज्यादा फिक्र नेताजी को होने लगे तो समझ जाइए चुनाव आ गया है। कुछ ऐसा ही हाल नामांकन के बाद देखने को मिल रहा। रोजगार के लिए बाहर गए लोगों पर अचानक ही नेता जी की नेमत बरसने लगी है। इनमें अपने लिए वोट की संभावना देख रहे पार्टियों के स्थानीय नेता न सिर्फ उनकी कुंडली खंगाल रहे हैं, बल्कि उन्हें रिझाने में भी जी जान से जुटे हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के समर्थक और कार्यकर्ता गांवों में ऐसे परिवारों को चिन्हित कर सूची बनाने में जुटे है, जिनके सगे संबंधी दूसरे प्रदेशों व शहरों में रहते हैं। उनके नाते रिश्तेदारों से हाल चाल लिए जा रहे हैं। यही नहीं ऐसे परदेशियों को वोट का महत्व भी बताया जा रहा है। अपनी-अपनी पार्टियों का मत प्रतिशत बढ़ाने की चाहत में नेता जी की मेहरबानी ऐसे बरस रही कि उनके आने-जाने से लेकर रहने तक का इंतजाम करने की रणनीति शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता साल भर लोगों के बीच नहीं दिखते, लेकिन अब वे जनता की सारी समस्याओं को सुन ही नहीं रहे, आश्वासन भी दे रहे हैं। अपने-अपने वाट्सएप ग्रुप में लोगों को जोड़कर हर वक्त सेवक की भांति पेश आ रहे है। इतना ही नहीं, नेता जी सुबह शाम गुड मार्निंग और गुडनाइट कहना भी नहीं भूलते। यह बात अलग है कि कुछ लोग यह कहकर ग्रुप से किनारा कर लेते हैं कि पांच साल नहीं पूछे अब हितैषी बने हैं।