तालाबों पर बेखौफ अवैध कब्जा
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जौनपुर। प्रशासन के तमाम दावों के बीच तालबों व गड्ढों पर अतिक्रमण बदस्तूर जारी है। शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेने से स्थिति लगातार गंभीर हो रही है। जल स्तर बढ़ाए जाने के लिहाज से खोदवाए गए तालाबों में नहरों के माध्यम से अभी तक पानी नहीं पहुंचने से उनमे धूल उड़ रही है। राजस्व कर्मियों द्वारा अधिकारियों को मौके की झूठी रिपोर्ट देने से भी एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स प्रभावहीन साबित हो रही है।शासन की ओर से तालाबों-गड्ढों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर भले ही सख्ती की जा रही है, लेकिन पुलिस-प्रशासन की ओर से शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। यही वजह है भू-माफिया अभी भी गड्ढों व तालाबों की जमीनों पर काबिज हैं। सबसे अधिक लापरवाही तहसील स्तर पर सरकारी जमीन को खाली करवाने को लेकर बरती जा रही है। शिकायतों के निस्तारण की बजाय राजस्व व पुलिस अधिकारी एक दूसरे पर मामले को थोप रहे हैं, जिससे अतिक्रमण के अधिकतर मामलों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। सबसे खराब स्थिति बदलापुर, मछलीशहर की है। यहां कई तालाब व गड्ढे अभी तक अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सके हैं। साथ ही जमीनी कब्जे को लेकर मारपीट की घटनाएं बढ़ रही हैं। उधर, तालाबों पर अतिक्रमण की वजह से जल स्तर लगातार कम हो रहा है। जिले में तकरीबन 19 हजार तालाब हैं। इनमें मनरेगा के तहत कुछ तालाबों को खोदवाए भी जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इनमे पानी नहीं पहुंच सका है। प्रशासन की ओर से तालाबों को खोदवाने के बाद नहरों के नजदीक तालाबों नहरों से जोड़ने की योजना तैयार की गई थी, जो फिलहाल नहीं हो सका है। लंबित मामलों पर कार्रवाई की बजाय लापरवाही बरतने तमाम ब्लाक डार्क जोन में पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं, अभी भी पूर्ण रूप से गड्ढो-तालाबों से अतिक्रमण नहीं हटने से स्थिति खराब हो रही है। तालाबों को खोदवाने पर भारी भरकम बजट खर्च करने के बाद अभी तक इनमें पानी नहीं पहुंच पाना सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है। सुजानगंज सरायभोगी बाजार के करीब रोहुआ तालाब अतिक्रमण की चपेट में है। तालाब के चारों ओर अवैध कब्जे की वजह से ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व खोने का खतरा बन गया है। धनुषाकार इस तालाब की लंबाई साढ़े तीन किलोमीटर है, जिसे चारो तरफ से पाटा जा रहा है। किसी समय में इस तालाब में हमेशा पानी भरा रहता था, जो अब सूखने की कगार पर है। लगभग एक दशक पूर्व तालाब की सफाई कराई गई। तालाब में पानी नहीं नहीं होने की वजह से लोगों ने इसे पाटना शुरू कर दिया। बड़े तालाब के सूखने व अतिक्रमण की वजह से आस-पास के गांवों का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। आस-पास के लोगों के अधिकतर हैंडपंप सूखने से क्षेत्र में पेयजल की किल्लत हो गई है।