जायद फसलों के प्रति किसान उदासीन

जौनपुर। रबी व खरीफ के बीच बोई जाने वाली जायद सीजन की फसलों को उगाने के प्रति किसान उदासीन हैं। जागरूकता के अभाव में 3 माह खेत खाली पड़े रहते हैं। यदि सरकारी स्तर पर प्रयास हों तो जायद फसलों की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर अप्रैल माह के प्रारंभ से गेहूं व सरसो के फसल की कटाई शुरू हो जाती है, धान की रोपाई जुलाई माह में जोर पकड़ती है। ऐसे में बीच के तीन महीने खेत खाली पड़े रहते हैं। इस समयावधि में उड़द व मूंग जैसी दलहन व सूरजमुखी जैसी तिलहन की फसल के अतिरिक्त मक्का, तरबूज, खरबूज तथा भिडी, लौकी आदि की फसल ली जा सकती है। इन फसलों की खेती से एक तो खेतों की नमी बरकरार रहेगी दूसरे इनके डंठलों को खेत में सड़ाने से हरी खाद भी तैयार होती रहती है। इन तीन महीनों में किसान खरीफ फसल की खेती हेतु पूंजी आसानी से तैयार की जा सकती है। जानकारी व सुविधा के अभाव में किसान जायद की खेती से दूर हैं। कृषि विभाग यदि अभियान चलाकर किसानों को इस ओर प्रेरित करे तो सार्थक परिणाम दिखाई देंगे।

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