खतरे की आहट दे रहे सूखते कुंए और तालाब
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जौनपुर। तेजी से गिर रहे जलस्तर से तालाब व कुएं सूखते जा रहे हैं। जल संचयन को लेकर बरती जा रही उदासीनता भी इसके लिए एक बड़ी वजह है। गांवों में गढ्डे पाटने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे में बूंद-बूंद पानी सहेजने को लेकर बरती जा रही लापरवाही आने वाले दिनों में जल संकट को और बढ़ा सकती है। कुएं सहेजने की खत्म हो रही परंपरा रू पाताल में समा रहे जलस्तर की वजह से गांवों के अधिकतर कुएं सूख चुके हैं। कुएं सहेजने की परंपरा अब समाप्त होती जा रही है। मौजूदा समय में जिलेभर के गांवों में तकरीबन 17 हजार कुएं हैं। इनमें से अधिकतर सूख चुके हैं। प्रदूषण की वजह से बचे रह गए कूओं का पानी भी पीने लायक नहीं बचा है। सूख चुके तालाबों को कब्जाया जा रहा है। गड्ढों व तालाबों को पाटने की वजह से बरसात के दिनों में मोती समान बरसात का पानी बर्बाद हो रहा है। प्रधान के स्तर भी लापरवाही रू गांवों के पोखरों को दुरुस्त करने को लेकर भी ग्राम प्रधानों की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। अस्तित्व खो रहे जर्जर पोखरों को बचाने में ग्राम पंचायतें निष्क्रिय भूमिका में हैं। इमारतों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग की व्यवस्था नहीं रू जल संचयन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी सुस्ती बरती जा रही है। सरकारी कार्यालयों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा आम लोग जल संचयन को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। इमारतों में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम शायद ही किसी ने लगवाया हो। ऐसे में बरसात के दिनों में जलस्तर बढ़ाने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पानी बर्बाद हो रहा है। 11 ब्लाक डार्क जोन में रू कुल 21 ब्लाकों के अनुपात में गिरते जल स्तर को देखते हुए 11 ब्लाक को डार्क जोन घोषित कर दिया है। महराजगंज, बक्शा, करंजाकला, सिरकोनी, धर्मापुर, मुफ्तीगंज, केराकत, डोभी, बरसठी व सिकरारा में जल स्तर पाताल पहुंच चुका है। बक्शा, डोभी, सिरकोनी आदि में 150 फीट पर पानी प्राप्त होता है। शाहगंज व मछलीशहर ब्लाक में 100 से 125 फीट पर पेयजल मिल रहा है। इन ब्लाकों में सिचाई के लिए गहरी, मध्यम ट्यूबेल की बो¨रग तक नहीं कराई जाती है। सरकारी बो¨रग पर भी प्रतिबंध होने की वजह से किसानों को सिंचाई के लिए भारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। जलस्तर को बढ़ावा देने के लिहाज से 65 स्थानों पर चेकडैम बनाए गए हैं। हालांकि इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। गिरते जलस्तर को बढ़ाने के लिए इनकी संख्या को बढ़ाना होगा।