जनसघ के संस्थापक की राजनीत समाप्त कर चुकी है जौनपुर की जनता
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जौनपुर शहर शर्की शासनकाल में राजधानी हुआ करती थी। यह शहर शिक्षा के मामले में हमेशा से अग्रणी रहा है। जिसके कारण इसे शिराज ए हिन्द का खिताब मिल चुका है। इस शहर के बीच से बहने वाली आदि गंगा गोमती की हर लहर पर गंगा जमुुनी की तहजीब लिखी गयी है। यहां की पढ़ी लिखी जनता हर चुनाव में समझ बुझकर अपना सांसद चुनती रही है। इस संसदीय सीट पर 1963 उप चुनाव में जनसंघ के संस्थापक प0 दीनदयाल उपाध्याय पहली बार चुनाव लड़ने के लिए आये हुए थे। दीनदयाल का चुनाव प्रचार करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,राजा जौनपुर समेत कई जनसंघ के संस्थापक सदस्यो ने प्रचार किया था लेकिन यहां की जनता ने हवा हवाई नेता को पूरी तरह से नकारते हुए स्थानीय जमीनी नेता राजदेव सिंह को अपना सांसद चुना। इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण कहानी यह है कि जब दीनदायल और उनके समर्थक नगर चुनाव प्रचार करने निकले थे ओलंदगंज मोहल्ले में सड़क के किनारे कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव सिंह कुछ रिक्शावान व स्थानीय जनता के साथ गुप्त गू करते दिखे तो दीनदयाल जी ने पुछा ये कौन है साथ चल रहे राजा जौनपुर यादवेन्द्रदत्त दुबे ने बताया कि यही कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव है उसी दीनदयाल ने कहा कि मौ चुनाव हार गया। जब हमारा प्रतिद्वन्दी इस तरह लोकप्रिय है तो उसे कौन हरा सकता है। यह चुनाव लड़ने के बाद दीनदयाल जी कभी कोई चुनाव नही लड़े। उधर राजदेव सिंह इस सीट पर जीत की हैक्ट्रिक लगाया था।
अब तक के हुए चुनाव पर नजर डाली जाय तो 1952 और 1957 आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बीरबल सिंह सांसद चुने गये। 1962 में जनसंघ के ब्रम्मजीत सिंह चुनाव जीते। एक वर्ष बाद उनके निधन के बाद चुनाव मैदान में खुद जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय कुद गये लेकिन जनता ने उन्हे पूरी तरह से नकारते हुए जमीनी नेता कांग्रेस के राजदेव सिंह को अपना सांसद चुना। राजदेव सिंह 1967 और 1971 चुनाव जीतकर जीत की हैक्ट्रिक लगायी। 1977 में भारतीय लोकदल के राजा यादवेन्द्रदत्त दुबे पहलीबार सांसद चुने गये। 1980 के चुनाव में जनता पार्टी सेक्यूलर के अजीजउल्लाह आजमी इस सीट पर कब्जा किया। 1984 में यह सीट कमला प्रसाद सिंह जीतकर पुनः कांग्रेस की खाते डाल दिया। 1991 चुनाव में जनता दल के अर्जुन यादव सांसद चुने गये। 1996 चुनाव में भाजपा के राजकेशर सिंह चुनाव जीते थे। 1998 में सपा के पारसनाथ यादव सांसद चुने गये। 1999 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद सांसद चुने गये। 2004 में सपा के पारसनाथ यादव दूसरी बार सांसद बने। 2009 में बसपा प्रत्याशी बाहुबली धनंजय सिंह सांसद चुने गये। 2014 लोकसभा चुनाव में यह सीट पुनः भाजपा के खाते में आ गयी। यहां से बीजेपी प्रत्याशी के पी सिंह सांसद बने।