जौनपुर का बेटा बना आईपीएस अफसर
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जौनपुर। संघ लोकसेवा आयोग सीएसई 2018 का परिणाम घोषित हो चुका
है। चंदवक क्षेत्र के खुज्झी गांव निवासी कृष्ण कुमार सिंह आईपीएस में चयनित हो
डोभी का मान बढ़ाया है। इसकी जानकारी मिलते ही उसके घर बधाई देने वालों का
ताता लग गया। हर कोई उसके उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहा था। उसे
181वीं रैंक प्राप्त हुई हैं।
खुज्झी गांव निवासी कृष्ण कुमार सिंह के पिता रामआसरे सिंह गाजियाबाद में उद्योग विभाग में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। उनकी वर्ष 2008 में मृत्यु हो गई। कुछ दिनों बाद पत्नी का भी निधन हो गया।
बेटा कृष्ण कुमार सिंह की बारहवीं तक की शिक्षा गाजियाबाद में ही बसुंधरा कालेज में हुई। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से बीटेक (कंप्यूटर ) करके बैंक में प्रबन्धक के पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली। वर्तमान में वह शिमला में कार्यरत थे। चौथे प्रयास में उनका आईपीएस में चयन हुआ है।उन्हें 181 वीं रैंक प्राप्त हुआ है।
कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें किताबें पढ़ने की बहुत शौक है, साथ ही वह कविता भी लिखते हैं। बताया कि नियमित रूप से पांच -छ: घंटे पढ़ते हैं।कभी कोचिग सेंटर पर नहीं गए।
उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम किया जाए तो मंजिल अवश्य मिलेगी। आईपीएस के तौर पर वह पुलिस को संवेदनशील बनाना चाहते हैं।जनता की समस्याओं का सुगमता से बेहतर समाधान हो ऐसी पुलिसिग की जरूरत है और मैं इस पर काम करूंगा। घर पर मौजूद चाचा साधु सिंह, बड़े भाई बबलू सिंह सभी आगन्तुकों का मुंह मीठा कराकर स्वागत कर रहे हैं।
खुज्झी गांव निवासी कृष्ण कुमार सिंह के पिता रामआसरे सिंह गाजियाबाद में उद्योग विभाग में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। उनकी वर्ष 2008 में मृत्यु हो गई। कुछ दिनों बाद पत्नी का भी निधन हो गया।
बेटा कृष्ण कुमार सिंह की बारहवीं तक की शिक्षा गाजियाबाद में ही बसुंधरा कालेज में हुई। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से बीटेक (कंप्यूटर ) करके बैंक में प्रबन्धक के पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली। वर्तमान में वह शिमला में कार्यरत थे। चौथे प्रयास में उनका आईपीएस में चयन हुआ है।उन्हें 181 वीं रैंक प्राप्त हुआ है।
कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें किताबें पढ़ने की बहुत शौक है, साथ ही वह कविता भी लिखते हैं। बताया कि नियमित रूप से पांच -छ: घंटे पढ़ते हैं।कभी कोचिग सेंटर पर नहीं गए।
उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम किया जाए तो मंजिल अवश्य मिलेगी। आईपीएस के तौर पर वह पुलिस को संवेदनशील बनाना चाहते हैं।जनता की समस्याओं का सुगमता से बेहतर समाधान हो ऐसी पुलिसिग की जरूरत है और मैं इस पर काम करूंगा। घर पर मौजूद चाचा साधु सिंह, बड़े भाई बबलू सिंह सभी आगन्तुकों का मुंह मीठा कराकर स्वागत कर रहे हैं।