मुआवजा के लिए भटक रहे किसान

जौनपुर। प्रकृति की मार और अग्निकाण्डों से फसलों को हुई क्षति के कारण बड़ी संख्या में अन्नदाता बर्बाद हो गए हैं। क्षतिपूर्ति पाने के लिए वह सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटते-काटते थक-हारकर बैठ जा रहे हैं। उन्हीं फसलों की क्षतिपूर्ति मिलने की उम्मीद है जिसका बीमा किया गया है। पीड़ितों को राहत पाने के लिए कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। बर्बाद हो रहे किसानों को बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है। जिम्मेदारों की उदासीनता और योजना के संचालन में खामी के चलते इसका अपेक्षित लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। जागरूकता के अभाव में अधिकांश किसान बीमा नहीं कराते। बैंक से फसल ऋण लेने वालों का ही केवल बीमा हो रहा है। खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले के दस प्रतिशत भी किसानों के ही फसलों का बीमा नहीं हुआ।  विद्युत शार्ट सर्किट, चूल्हे की चिगारी आदि से लगी आग से जहां जनपद में कई एकड़ फसल नष्ट हो गई वहीं प्राकृतिक आपदा में गेहूं की भारी क्षति हुई है।  

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