वन विभाग ही कर रहा पर्यावरण को धराशाई

जौनपुर। वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए भले ही भारी भरकम योजनाएं संचालित की जाती हों लेकिन वन विभाग की अकर्मण्यता पर्यावरण संरक्षण को पलीता लगा रहा है। विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों संग वन माफियाओं का गठजोड़ जिले को वीरान व बीहड़ बनाने की पुरजोर कोशिश में है। नगरीय इलाका हो या ग्रामीण क्षेत्र, चहुंओर पेड़ों की कटाई बेखौफ जारी है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार विभागीय सह पर लकड़ी माफिया जंगली लकड़ी की कौन कहे, फलदार वृक्षों को भी नहीं छोड़ रहे। वन विभाग की लापरवाही से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषण का खतरा उत्पन्न हो गया है बल्कि राजस्व की भी काफी क्षति हो रही है। यही नहीं जिले में अवैध रूप से संचालित होने वाले आरा मिलों की संख्या भी सैकड़ों में है। वन दारोगा व क्षेत्रीय वन अधिकारियों से जुगाड़ व लक्ष्मी पूजा के दम पर जिले में सैकड़ो अवैध आरा मिलों का संचालन किया जा रहा है। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वन विभाग के कर्मचारी के परिजन भी इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मानों वन माफिया ही विभाग को संचालित करने का काम कर रहे हैं। कभी-कभार दिखावा के नाम पर विभाग चाबुक जरुर चलाता है लेकिन इस धंधे से जुड़े लोंगों की मानें तो चढ़ावा की धनराशि में इजाफा करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई की जाती है। बाद में सेटिग हो जाने पर धंधा पूर्ववत संचालित होने लगता है। रात गई बात की तर्ज पर मामला निपटाने में माहिर विभाग का कोई सानी नहीं है। विभाग से शह प्राप्त होने के कारण वन माफिया दूर-दराज के इलाकों की कौन कहे, लबे सड़क स्थित पेड़ों को काटने से भी नहीं चुकते। रही सही कसर साहब की नजर-ए-इनायत से संचालित आरा मिलें पूरी कर देती हैं। यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता, साठगांठ का यह खेल परमिट जारी करने में भी खेला जा रहा है। दो पेड़ों की परमिट पर दर्जनों पेड़ों को जमींदोज कराने का दस्तूर वर्षों पुराना है। परमिट जारी करने के नाम पर होने वाली वसूली व उसके बाद परमिशन से अधिक पेड़ों की कटाई के इस अवैध गोरखधंधे में ऊपर से नीचे तक सबका हिस्सा निर्धारित है। सूत्रों की माने तो जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के हिसाब से प्राप्त चढ़ावे का बंटवारा किया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि रक्षक ही जब भक्षक बन जाए वन एंव पर्यावरण संरक्षण की हिफाजत की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

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