जो भूखे प्यासे इंसान की मदद करने से पहले उसका धर्म पूछे वो सच्चा मुसलमान नहीं | एस एम मासूम
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इस्लामिक मामलात के जानकार एस एम मासूम |
जो भूखे प्यासे इंसान की मदद करने से पहले उसका धर्म पूछे वो सच्चा मुसलमान नहीं | एस एम मासूम
जौनपुर। लहू में डूबा हुआ मोहर्रम का चांद देखते ही इमाम हुसैन के चाहने वालों की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। अजादारों ने घर घर मजलिसों का दौर शुरु कर दिया। लोग गम ऐ हुसैन का इज़हार करने के लिए काले लिबास पहनकर मजलिसों में शिरकत करने निकल पड़े। नौहा ,मातम और हुसैन पे रोने वालों की सदा से पूरा शहर गमगीन हो गया।

उन्होंने यह भी कहा की इस्लाम धर्म में किसी भूखे और प्यासे को मदद करने से पहले उसका धर्म नहीं पूछा जाता | किसी की जान बचाने से पहले उसका धर्म नहीं पूछते किसी मुसाफिर को सहारे देने से पहले उसका धर्म नहीं पूछा जाता या आप कह दें की इंसानियत के नाते मदद की जाती है |
अंत में उन्होंने बताया की आज इमाम हुसैन में सफीर हज़रत मुस्लिम की शहादत को याद करने का दिन है जिन्हे बुला के लोगों ने दुनिया की लालच में अकेला छोड़ दिया और आज तक यह पैगाम उस वाक़ये से फैल गया की किसी को भरोसा दे के उसे अकेला छोड़ देना वादे से मुकर जाना ज़ुल्म कहलाता है और ऐसा करने वाला ज़ालिम हुआ करता है जो इस्लाम का पैगाम नहीं | इसी के साथ जब ज़ाकिर ऐ अहलेबैत एस एम् मासूम ने हज़रात मुस्लिम की शहादत को बयान किया तो सारे लोग आंसुओं और आवाज़ के साथ रो पड़े और नौहा मातम करने लगे |