ओवर रेट शराब बिकवा रहा आबकारी विभाग , कच्ची शराब से जिन्दगी दांव पर
https://www.shirazehind.com/2018/09/blog-post_73.html
जौनपुर । चाहे कोई भी हो, और अपने परिवार के प्रति कैसा भी व्यवहार रखता हो। बावजूद इसके वह सुबह के समय घर से निकलकर मजदूरी करने के लिए चलता है तो उसके दिलो दिमाग पर केवल बच्चों व परिवार की खुशी के लिए एक चमक होती है। दिनभर हाड़ तोड़ मेहनत करने वाला शराब का शौकीन मजदूर शरीर की थकान उतारने के लिए दो घूंट शराब पीने की सोचता है। लेकिन वह उस वक्त सोच में पड़ जाता है जब देशी या फिर अंग्रेजी शराब के ठेके पर एक तो मंहगी, उस पर ओवर रेट शराब खरीदनी पड़ती है। इन हालात में वह सस्ती शराब की चाहत में अवैध शराब माफिया के चंगुल में फंसकर अपनी जिदंगी दांव पर लगा डालता है। इसके चलते शराब माफिया गरीब मेहनतकश मजदूरों की जिदगी से खेलते है। आये दिन विभिन्न जनपदों जहरीली शराब पीने से मौत के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। इन मौतों के लिए ओवर रेट शराब बेचा जाना भी किसी हद तक जिम्मेदार है। भले ही सूबे की योगी सरकार ने शराब माफियागर्दी और ओवररेटिग की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए बड़े दिग्गजों का तिलिस्म तोड़ दिया हो, लेकिन जिले में ओवररेटिग का नेटवर्क बरकरार है। एक तो तस्करी और दूसरे ओवररेटिग। जनपद में आबकारी अफसर माफिया के सामने घुटने टेक चुके है। विशेष तौर पर देहात के गांवों में कच्ची शराब की भट्ठियां दहक रही, लेकिन इसे दरकिनार किया जाता रहा। माफिया मौज उड़ाते रहे। जिले में देशी व विदेशी शराब पर सालों से ओवररेटिग का धंधा चलता आ रहा है। हाल यह है कि प्रति बोतल, पव्वा, अधा व बीयर पर 10 से 20 रुपये तक अवैध तरीके से वसूले जा रहे हैं। अवैध व तस्करी की शराब पकड़ने के लिए आबकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई। आबकारी अधिकारियों को शुरू से ही जानकारी रहती है कि किन किन गांवों में अवैध शराब की भट्ठियां चलाई जाती है। यदि पिछले पांच साल का रिकॉर्ड देखे तो सैकड़ों से ज्यादा भट्ठियां विभाग टीम ने पकड़ी। लाखों लीटर लहन व कच्ची शराब बरामद कर उसे बिस्मार किया। विडंबना रही कि टीम कभी भी माफिया तक नहीं पहुंच सकी। पूरे जनपद में विभिन्न स्थानों पर कच्ची व अवैध शराब बेची व निर्माण की जाती रही। इस धंधे को नेस्तनाबूद करने के लिए बनाए आबकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ही धंधे के लिए सहयोगी बन गए। विभागीय जयचंद माफिया के साथ हाथ मिलाकर पूरी तरह हावी रहे। दबिश के दौरान इन जयचंदों की भूमिका के कारण ही माफिया कभी भी पकड़े नहीं जा सके। पुलिस कर्मचारी भी माफिया तक अपनी पूरी खुफिया निगाहें लगाए रहते थे। आबकारी व पुलिस टीम की बदौलत जनपद भर में कच्ची शराब का सिंडिकेट मजबूत रहा जिसके दुष्परिणाम कभी सामने आ सकते हैं।