अमन और शान्ति धरती को बना सकती है स्वर्ग
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जौनपुर । इस परम् सत्ता ने मानव को अपने जैसा ही सर्वगुण सम्पन्न बनाकर इस धरती को स्वर्ग बनाने के उद्देश्य से अवतरित किया है। यह विडम्बना ही है कि मानव यहा आकर प्रभु की बनाई हुई सृष्टि अर्थात माया में रम कर इस प्रभु द्वारा प्रदत सुख सामग्री को अपना समझने लगता है। उक्त बाते जलालपुर स्थित प्रधानपुर में निरंकारी सत्संग समारोह में उदय नारायण जायसवाल कही, उन्होंने कहा आज मानव, मानव से भयभीत है। प्रेम, नम्रता, सहन शीलता की जगह अब बैर नफरत निन्दा के कांटे बोने लगा है। दूसरो की समृद्धि एवं सम्पन्नता उसकी जलन का कारण बन गयी है। सबका भला या कल्याण करने के स्थान पर यह स्वयं का भला करने में अपने को व्यस्त कर बैठा है। धरती को स्वर्ग बनाने के लिए हम सभी को अमन, एकता, विशालता, सहन शीलता आदि मानवीय गुणों से युक्त होना होगा और तभी सम्भव है जब हम इस सर्वशक्तिमान, परमात्मा से नाता जोड़ लेगें। महापुरूष संत जन हमेशा ही मानव को यही पैगाम देते आये है कि इंसान इस परम् तत्व का बोध हासिल करके मूल की पहचान करके अपने आप को जान करके सही इंसानी जीवन जी पाये और धरती के लिए वरदान बने स्वयं भी शान्ती से रहे औरो को भी सुकून वाला वातावरण दे। मुख्य वक्ता राजेश , बरसाती , रामजीत , छोटेलाल , मनोज , अमरावती , रामशिरोमणि दूधनाथ आदि उपस्थित रहे। संचालन नन्दलाल ने किया।