कालाबाजारी पर अंकुश से राशन डीलरों का मोहभंग

जौनपुर । गरीबों के लिए राशन वितरण की मॉनीटिग बढ़ने व कालाबाजारी पर अंकुश ने राशन डीलरों की नींद उड़ा दी है। इससे राशन डीलरों का राशन वितरण से मोहभंग होने लगा है। तमाम डीलर स्वेच्छा से त्यागपत्र देकर पिंड छुड़ाने में लगे हैं, जबकि पहले राशन की दुकान पाने के लिए लोग एड़ी-चोटी का जोर लगाते थे। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में बनाया था। इसके दायरे में देश की 70 फीसद आबादी तक मामूली दर पर खाद्यान्न पहुंचाने का संकल्प लिया गया, लेकिन इसके साथ ही एक शर्त रखी गई थी कि खाद्यान्न पाने वाले सभी उपभोक्ताओं का पूरा डाटा ऑनलाइन होना चाहिए। डाटा ऑनलाइन करते ही जिले में करीब डेढ़ लाख राशन कार्ड व करीब पांच लाख यूनिट कम हो गए थे। इनमें बोगस कार्ड तो सूची से गायब ही हो गए, जबकि पहले सभी जिले के प्रत्येक परिवार को खाद्यान्न का लाभ मिलता था, जिसमें अमीर लोगों के राशन का उठान न करने पर इसे राशन डीलर कालाबाजारी में बेच देते थे। फिर पूरा स्टाक निल दिखाकर अधिकारियों से रिपोर्ट लगवाकर काली कमाई का हिस्सा बांट लेते थे। अब पीओएस मशीन लगने से खाद्यान्न न उठान करने वालों का स्टाक अवशेष रहता है, जिसे अगले माह के स्टाक में शामिल कर लिया जाता है। इससे डीलरों की काली कमाई पर रोक लग गई है। कमाई कम होने से डीलरों का खाद्यान्न वितरण से मोहभंग हो रहा है।

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