रामराज्य की बुनियाद पारिवारिक प्रेम: वशिष्ठ
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जौनपुर। पाश्चात्य संस्कृति से दूर भारतीय संस्कृति को अपनाना ही आज के परिवेश का रामराज्य है। रामराज्य की पहली बुनियाद ही पारिवारिक प्रेम एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण को बनाये रखना है। उक्त बातें वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने बक्शा विकास खण्ड के लेदुका बाजार में स्थित रामजानकी मन्दिर के प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्री रामकथा मानस प्रवचन के अंतिम दिन भक्तो के बीच कही। लंका विजय के बाद 14 वर्षो बाद विमान से अयोध्या पहुँचने पर श्री राम कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि पुष्पक विमान से उतरते ही प्रभु राम माता कैकेई को न देख विचलित हो उठे। सबसे पहले कैकेयी के ही महल जा पहुँचे। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही गुरु को प्रणाम करते थे। उन्होंने कहा कि आज एक भाई दूसरे भाई से मुकदमा जीतते ही गाँव में मिठाई बटवाता है। वही अयोध्या में छोटे भाइयो को खेल में जीत जाने के लिए प्रभु राम खुद हार जाते थे। प्रभु के राज्यभिषेक के समय सभी अयोध्या वासी प्रभु राम के मुकुट निहारते है तो भरत राम के चरणों को निहारते है। रामराज्य भरत जैसे भाई की छत्रछाया में ही सम्भव हुआ। कथा समापन के दौरान आरती पश्चात प्रसाद वितरण हुआ। संचालन दयाशंकर दूबे ने किया।.