यूरिया के नाम पर छले जा रहे किसान

जौनपुर। यूरिया के संदर्भ में सरकार का दावा कि इसका दाम नहीं बढ़ा नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह फेल है। सहकारी समितियों व संघों पर मिलने वाली यूरिया प्रति बोरी 310 से 320 रुपये में मिल रही है, जबकि उसे समितियों द्वारा 299 रुपये में देना है। पिछले वर्ष 50 किलो की प्रति बोरी यूरिया 340 रुपये पर समितियों द्वारा दी गई। आज सरकार ने उसी यूरिया की बोरी को 45 किलो में समेट दिया है। फिर सरकार का यह कहना हास्यास्पद है कि यूरिया की कीमतों मे बढ़ोतरी नहीं हुई है। यह सच है कि यूरिया की कीमतें बढ़ाई नहीं गई हैं लेकिन प्रत्येक बोरी में पांच किलो कम यूरिया भी दी जा रही है। प्रमुख धान उत्पादक किसान श्रीकान्त शर्मा  ने कहा कि सरकार किसानों के हित की तो बात करती है लेकिन आज यूरिया की मात्रा को कम कर किसानों को छल भी रही है।   कहा कि इस वर्ष भी यूरिया की कीमतें पूर्व के वर्षों की भांति हैं, लेकिन 5 किलो यूरिया कम कर देना कहां का इंसाफ है। रंगीला यादव ने कहा कि विभिन्न सरकारों ने किसानों को बराबर छलने का ही काम किया है यह सरकार भी उसी पैटर्न पर चल रही है। रामचन्दर यादव ने कहा कि यूरिया की किल्लत से किसान हफ्तों से परेशान थे जब समितियों पर यूरिया की खेप पहुंच गई है तो 5 किलो कम की बोरियां 299 की जगह 320 रुपये में मिल रही हैं। सरकार को इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।

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