अवधेश सिह के साहस,शौर्यव वीरता की आज भी लोग देते है मिशाल
https://www.shirazehind.com/2018/08/blog-post_705.html
जौनपुर। आजादी के इन दिवानो आज की युवा पीढ़ी भूलती जा रही है इनके अंदर अपने अतीत को जानने की व्याकुलता नहीं रह गई और भौतिक समाज की सुख सुविधा मे इस कदर डूब गये की एसे राष्टृ वीरो को मन मस्तिस्क से भुला दिया ।एसे ही आजादी के महान योध्दा थे ठाकुर अवधेश सिह जिनके साहस,शौर्य व वीरता की मिशाल लोग आज भी देते है इन्होने छापामार रणनीति बनाकर अग्रेजो के दातं खट्टे कर दिए थे ।देशभक्ति के जज्बे के चलते यह हर सम्प्रदाय के चहेते थे ।
मन मे आजादी का जज्बा लेकर इन्होने
गांधी जी के आह्वान पर 1942 अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से प्रभावित होकर जौनपुर के इस माटी के लाल एवं भन्नौर ग्राम निवासी ठाकुर रविशरन सिंह के इकलौते पुत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व0 अवधेश सिंह सिंह का देशभक्ति का जज्बा हिलोरे मारने लगा। भन्नौर ग्राम के प्राथमिक स्कूल के बच्चों के साथ भन्नौर स्टेशन की रेलवे लाइन को उखाड़ फेंका एवं टेलीफोन के तार को काट कर अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम करते हुए अंग्रेजो की भाषा में एक गिरोह को संचालित करते हुए सरगना के तौर पर ग्यारह साथियों जिसमें प्रमुख रुप से पंडित इन्द्रजीत(ग्राम-सहरमा) पंडित बंसराज (ग्रा-मुन्नापुर रामपुर) अकबरी मौर्या (ग्राम -सरसरा बरसठी) नेवाज (ग्राम- बरवारी जलालपुर) पंडित बालकेश्वर (ग्राम- सलारपुर मढियाहू) के साथ मिलकर रामपुर थाने पर हमला बोलते हुए सिपाही मुखलाल एवं हेड कान्सटेबल अब्दुल जब्बार को बुरी तरह पिटकर अपने साथी को छुड़ा ले गये, हमले में सिपाही मुखलाल की बाद में मौत हो गई ।
जौनपुर से इलाहाबाद चलने वाली ट्रेन से सरकारी खजाने की डाक को अपने उन्ही ग्यारह सदस्यों के साथ बरसठी स्टेशन से लुटकर फरार हो गये ।
खालिसपुर स्टेशन पर सरकारी खजाने की डाक लुट कांड में भी कुंज बिहारी "दादा "के साथ भी सम्मिलित रहे ।
एम एन बनर्जी सेशन जज के कोर्ट 11/09/ 1944 को अवधेश सिंह सहित ग्यारह सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई ।
देश आजाद होने के बाद ढाई साल बाद रिहाई हुई
जब स्वतंत्रता सेनानियों को तत्कालीन सरकार ने पेंशन की घोषणा की अवधेश सिंह ने लिखकर दे दिया "देश सेवा की कीमत पैसों से नही तौलना चाहता हूँ "