तीसरे सोमवार को लाखों ने किया जलाभिषेक
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जौनपुर । जिले भर के शिव व अन्य मन्दिरों में सावन के तीसरे सोमवार को लाखों लोगों ने आस्था और विश्वास के साथ हर हर महादेव के नारे के साथ जलाभिषेक किया। जिले के प्रसिद्ध शिवमन्दिरों त्रिलोचन महादेव, दियांवा नाथ महादेव, गौरी शंकर धाम सुजानगंज, करशूल नाथ, साईनाथ, शंभूगंज सहित सभी शिव मन्दिरों में हर हर महादेव, बोलबम का नारा गूंज रहा है। सावन में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को सभी शिवमन्दिरों पर कांवरियों और श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला एवं पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था किया है। ज्ञात हो कि सावन में भगवान शिव का काफी महत्व है। सावन में वे कई रूप में दर्शन देते हैं। शिव का रूप-स्वरूप जितना विचित्र है, उतना ही आकर्षक भी। शिव जो धारण करते हैं, उनके भी बड़े व्यापक अर्थ हैं। उनकी जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं। चंद्रमा मन का प्रतीक है। शिव का मन चंद्रमा की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है। शिव की तीन आंखें हैं, इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। शिव की ये आंखें सत्व, रज और तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान और भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु और पाताल (तीनों लोकों) के प्रतीक हैं। सर्प जैसा हिसक जीव शिव के अधीन है। सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है। त्रिशूल शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है। त्रिशूल भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है। शिव के एक हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं। शिव के गले में मुंडमाला है, वह इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है। उन्होंने शरीर पर बाघ की खाल है। बाघ हिसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ है कि शिव ने हिसा और अहंकार का दमन कर उसे काबू कर लिया है। शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है। शिवलिग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है। भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है।