महफिल महफिल मैखाने की बात चली और जिन्दगी क्या से क्या हो गयी....

जौनपुर। गंगा-जमुनी तहजीब की नजीर दिये जाने वाले शहर जौनपुर की बीती शाम लोगों के लिये यादगार बन गयी। जिले की अग्रणी सामाजिक व रचनात्मक संस्था जेब्रा फाउण्डेशन द्वारा एक होटल में आयोजित ‘गजल संध्या’ में देश के साहित्य पटल पर अलग पहचान बनाने वाले डा. हरिओम सचिव सामान्य प्रशासन उत्तर प्रदेश शासन ने अपनी गजलों से लोगों को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। शाम होते ही सजने लगी गजल की महफिल। गिटार की मधुर आवाज व टेबल की थाप से सुनने वालों के कदम हाल की तरफ खींचे चले आने लगे। हारमोनियम पर खुद डा. हरि ओम की अंगुलियां जादुई कमाल कर चुकी थीं और हाल संगीत प्रेमियों से भर चुका था। दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात् ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय सेठ सहित उनकी पत्नी डा. अंजू सेठ ने डा. हरिओम को इलायची की माला व अंगवस्त्रम पहनाते हुये स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। डा. हरिओम ने अपनी एक से बढ़कर एक उम्दा गजलें, महफिल महफिल मैखाने की बात चली और जिन्दगी क्या से क्या हो गयी सुनाई तो कद्रदानों ने उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाह से नवाज दिया। दर्शकों की मांग पर उन्होंने इश्क की इन्तेहा हो गयी, तू मेरी दिलरुबा हो गयी गजल को भी गाया। अन्त में अपनी चर्चित नज्म मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ, सिकन्दर हूँ, मगर हारा हुआ हूँ, गाकर महफिल से रुख्सत हुये। जाते-जाते उन्होंने संस्था के प्रति आभार व्यक्त करते हुये फिर आने का वादा भी किया। इस सुरमयी शाम के गवाह डा. केपी यादव, आरएन सिंह कोशिश, विजयंत सोंथालिया, जय प्रकाश जायसवाल, सभाजीत द्विवेदी प्रखर, कर्मचारी नेता राकेश श्रीवास्तव, विमल सेठ, डा. मधुकर तिवारी, डा. मनोज वत्स, मिर्जा दावर बेग, अजय सिंह, आरएन त्रिपाठी, अमरनाथ सेठ, अरूण त्रिपाठी, अशोक मिश्र, जितेन्द्र यादव, राजेशराज गुप्त, रविकांत जायसवाल नीरज शाह सहित जनपद के तमाम प्रतिष्ठित व सभ्रांतजन मौजूद रहे। गजल संध्या का संचालन लखनऊ के पत्रकार दीपक के.एस. ने किया। अन्त में संस्थाध्यक्ष संजय सेठ ने समस्त आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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