अधिकारियो , कर्मचारियों ने लगाया इंकलाब जिन्दाबाद का नारा
https://www.shirazehind.com/2018/08/blog-post_105.html
जौनपुर। कलेक्ट्रेट स्थित क्रांति स्तंभ पर रविवार को कार्यक्रम का
आयोजन किया गया। 12 अगस्त 1942 की घटना को याद करते हुए क्रांतिकारियों को
श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान अधिकारियों, कर्मचारियों ने भी इंकलाब जिन्दाबाद
के नारे लगाए।
तहसीलदार सदर आशाराम वर्मा की अगुवाई में तहसीलदार न्यायिक ज्ञानेंद्र नाथ सिंह , नायब तहसीलदार मानधाता प्रताप सिंह के अलावा राजस्व निरीक्षक, लेखपाल, अमीन क्रांति स्तंभ पर पहुंचे। तहसीलदार ने झंडारोहण किया। सभी ने इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाए। इस दौरान सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। 12 अगस्त 1942 की घटना को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उस दिन छात्रों की बैठक हुई थी और दो टोली बनाई गई थी। लगभग 200 छात्रों की टोली का नेतृत्व दिवाकर सिंह कर रहे थे, जबकि 150 छात्रों की अगुवाई हरिहर सिंह के जिम्मे था। सभी दोपहर दो बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे थे और वहां लगे यूनियन जैक को उतार दिया था। इसकी जानकारी होने पहुंची पुलिस की झंडे को लेकर छात्रों से छीना-झपटी शुरू हो गई। इस दौरान हुए लाठीचार्ज में किसी ने पत्थर चलाया जो एसपी एमग्रेन को लग गया, जिससे वह घायल हो गया। इसके बाद बौखलाए एसपी ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें दिवाकर, केदारनाथ सिंह, सूबेदार मिश्र, मोहम्मद उमर, समेत तमाम लोग घायल हो गए। जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 25 दिसंबर 1944 को जेल से छूटने के बाद दिवाकर सिंह को जनपद से निष्कासित कर दिया गया।
तहसीलदार सदर आशाराम वर्मा की अगुवाई में तहसीलदार न्यायिक ज्ञानेंद्र नाथ सिंह , नायब तहसीलदार मानधाता प्रताप सिंह के अलावा राजस्व निरीक्षक, लेखपाल, अमीन क्रांति स्तंभ पर पहुंचे। तहसीलदार ने झंडारोहण किया। सभी ने इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाए। इस दौरान सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। 12 अगस्त 1942 की घटना को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उस दिन छात्रों की बैठक हुई थी और दो टोली बनाई गई थी। लगभग 200 छात्रों की टोली का नेतृत्व दिवाकर सिंह कर रहे थे, जबकि 150 छात्रों की अगुवाई हरिहर सिंह के जिम्मे था। सभी दोपहर दो बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे थे और वहां लगे यूनियन जैक को उतार दिया था। इसकी जानकारी होने पहुंची पुलिस की झंडे को लेकर छात्रों से छीना-झपटी शुरू हो गई। इस दौरान हुए लाठीचार्ज में किसी ने पत्थर चलाया जो एसपी एमग्रेन को लग गया, जिससे वह घायल हो गया। इसके बाद बौखलाए एसपी ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें दिवाकर, केदारनाथ सिंह, सूबेदार मिश्र, मोहम्मद उमर, समेत तमाम लोग घायल हो गए। जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 25 दिसंबर 1944 को जेल से छूटने के बाद दिवाकर सिंह को जनपद से निष्कासित कर दिया गया।