सफर में कहर बन रहे डग्गामार वाहन
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जौनपुर । जिले में प्रतिदिन सैकड़ों जिंदगियों पर डग्गामार वाहन कहर बनकर मंडराते रहते है। इनके मनमर्जी संचालन से ऐसी स्थितियां बनी हैं। जिला मुख्यालय से लेकर हर इलाके में आवाजाही का यह मुख्य साधन बन चुके हैं। अक्सर हादसों में लोग मौत का शिकार होने के साथ जख्मी होते रहते हैं। इसके बाद भी लगातार अफसरों की अनदेखी बरकरार है। जिला मुख्यालय से मछलीशहर, मुंगराबादशाहपुर, मड़ियाहूं, रामपुर, केराकत, बदलापुर, शाहगंज से लेकर बाकी जगहों के लिए डग्गामार जीपें, टैक्सी, टेंपो व आटो के साथ ई-रिक्शा का संचालन होता है। इन वाहनों में क्षमता के लिहाज से अधिक सवारियां चालक बैठाते हैं। इससे अचानक वाहन बेकाबू होकर भी दूसरे वाहनों से टकरा जाते ,डग्गामार वाहनों पर क्षमता से अधिक वाहन बैठाने की परंपरा जिले में अर्से से चली आ रही है। लोग भी अपने घरों पर समय से पहुंचने के लिए बिना कुछ सोचे-समझे इनकी सवारी गांठते हैं। आटो व टेंपो में तीन से पांच लोगों की क्षमता है लेकिन दस से कम सवारियां नहीं बैठती हैं। इसी तरह जीप, टैक्सी भी अक्सर 30 से 35 सवारियों को बैठा लेते हैं। इसके साथ लोगों का सामान भी लादा जाता है। इस सब पुलिस की मिली भगत से चलता है और डग्गामार वाहनो से निर्धारित रकम वसूली जाती है और हादसे पर हादसा होता है।