नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को लेकर आईएमए आक्रोशित , 28 जुलाई को सेवाएं रहेंगी बाधित
https://www.shirazehind.com/2018/07/28_27.html
जौनपुर। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में प्राइवेट चिकित्सक आक्रोशित हो गए हैं। मांगों को लेकर प्राइवेट चिकित्सकों की हड़ताल शनिवार को होगी। इमरजेंसी छोड़कर सभी सेवाएं बंद रहेंगी। इससे मरीजों को परेशानी संभव है। इस सम्बंध में आज आई एम ए जौनपुर की एक आकस्मिक बैठक आई एम ए भवन लाइन बाजार जौनपुर में हुई। इस बैठक में
आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर एन के सिंह एवं सचिव डॉक्टर ए ए जाफ़री ने आई एम ए यू पी के पदाधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी दी। आई एम ए यू पी द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध करते हुए इस बिल को पूर्णतया अलोकतांत्रिकए गरीब विरोधीए संघीय विरोधीए पिछड़ा समुदाय विरोधी एवं अमीरों को रास आने वाला बताया गया है। इस बिल के माध्यम से भारत सरकार द्वारा समस्त अधिकारों को केंद्रीयकृत करने का इरादा स्पष्ट दिखाई देता है। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए एमसीआई को समाप्त कर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन पूर्णतया अलोकतांत्रिक हैए जिससे राज्य चिकित्सा का प्रतिनिधित्व पूर्णरूपेण हाशिए पर कर दिया गया है। इसमें तीन की जगह 10 सदस्यों को समूहबद्ध किए जाने की सिफारिश को भी अस्वीकार किया गया है। जिसमें राज्य का प्रतिनिधित्व 10 वर्षों की अवधि के लिए अप्रतिनिधित रहेगा।
यह स्पष्ट है कि मौजूदा स्नातकोत्तर नीट परीक्षा में सामाजिक आर्थिक कमजोर वर्ग के छात्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। एग्जिट टेक्स्ट के रूप में अंतिम डठठै परीक्षा का उपयोग विभिन्न कारणों से गरीब व पिछड़े समुदायो के छात्रों के लिए दुष्कर होगा। जिसके परिणाम स्वरुप वे डठठै करने के बाद भी संबंधित राज्य चिकित्सा परिषदों के साथ पंजीकृत नहीं हो पाएंगे।
अतः उपरोक्त समस्त कारणों के बावजूद यदि यह बिल पास होता है तो आइएमए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा एवं समस्त चिकित्सक जगत पूरे देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी। एनएमसी बिल के विरोध में जौनपुर के संपूर्ण चिकित्सक देश भर के चिकित्सकों के साथ शनिवार को प्रातः 6 बजे से सांय 6 बजे तक 12 घण्टे की देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे एवं इस दिन को धिक्कार दिवस के रूप में मनाएंगे।
आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर एन के सिंह एवं सचिव डॉक्टर ए ए जाफ़री ने आई एम ए यू पी के पदाधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी दी। आई एम ए यू पी द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध करते हुए इस बिल को पूर्णतया अलोकतांत्रिकए गरीब विरोधीए संघीय विरोधीए पिछड़ा समुदाय विरोधी एवं अमीरों को रास आने वाला बताया गया है। इस बिल के माध्यम से भारत सरकार द्वारा समस्त अधिकारों को केंद्रीयकृत करने का इरादा स्पष्ट दिखाई देता है। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए एमसीआई को समाप्त कर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन पूर्णतया अलोकतांत्रिक हैए जिससे राज्य चिकित्सा का प्रतिनिधित्व पूर्णरूपेण हाशिए पर कर दिया गया है। इसमें तीन की जगह 10 सदस्यों को समूहबद्ध किए जाने की सिफारिश को भी अस्वीकार किया गया है। जिसमें राज्य का प्रतिनिधित्व 10 वर्षों की अवधि के लिए अप्रतिनिधित रहेगा।
यह स्पष्ट है कि मौजूदा स्नातकोत्तर नीट परीक्षा में सामाजिक आर्थिक कमजोर वर्ग के छात्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। एग्जिट टेक्स्ट के रूप में अंतिम डठठै परीक्षा का उपयोग विभिन्न कारणों से गरीब व पिछड़े समुदायो के छात्रों के लिए दुष्कर होगा। जिसके परिणाम स्वरुप वे डठठै करने के बाद भी संबंधित राज्य चिकित्सा परिषदों के साथ पंजीकृत नहीं हो पाएंगे।
अतः उपरोक्त समस्त कारणों के बावजूद यदि यह बिल पास होता है तो आइएमए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा एवं समस्त चिकित्सक जगत पूरे देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी। एनएमसी बिल के विरोध में जौनपुर के संपूर्ण चिकित्सक देश भर के चिकित्सकों के साथ शनिवार को प्रातः 6 बजे से सांय 6 बजे तक 12 घण्टे की देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे एवं इस दिन को धिक्कार दिवस के रूप में मनाएंगे।