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मंगलवार, 26 जून 2018

जानिए पूर्व विधायक शचिन्द्रनाथ त्रिपाठी का राजनीतिक सफर

जौनपुर। बरसठी व जफराबाद क्षेत्र के गुरूजी के नाम से जाने जाने वाले समाजवादी पार्टी के बरसठी एव जफराबाद क्षेत्र के पूर्व विधायक पं शचिन्द्रनाथ त्रिपाठी का सोमवार की रात्रि 11 बजे राममनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में अंतिम सांस लिए। वह पांच माह तक ब्रेन हैम्रेज से जूझ रहे थे तभी से वे कोमा मे चल रहे थे।उनका पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह छः बजे उनके पैतृक गांव हरद्वारी लाया गया उनके मौत का समाचार सुन कर लोग भावुक हो गये और भारी संख्या में लोग उनके घर पहुचकर दुख प्रकट किए।मंगलवार को वाराणसी मे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।उनके एक पुत्र एक पुत्री के साथ भरा पुरा परिवार है।
पं शचिन्द्र नाथ त्रिपाठी 16 फरवरी को लखनऊ आवास मे गिर जाने के कारण सर मे गहरी चोट लगी और वह कोमा मे चले गये और होश नही आया तभी से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था और वह कुछ बोल नही पाये।
पं शचिन्द्रनाथ त्रिपाठी छात्र जीवन से ही कठिनाईयों का सामना करते हुए छात्र संघ से लेकर ब्लाक प्रमुख और दो बार विधायक बने। उन्हे प्यार से सब गुरूजी कहते थे। बरसठी विधानसभा के एक एक आदमी को उनकी नाम से परख थी ।
पं शचिन्द्रनाथ त्रिपाठी बीएससी तक शिक्षा और पहली बार जौनपुर स्थित तिलकधारी महाविघालय मे 1966-67 मे छात्र संघ अध्यक्ष चुने गये और तभी से राजनीति मे कदम रखा जिसके बाद बरसठी क्षेत्र में उनको लोग गुरुजी के नाम से जानने लगे।
1984 मे बरसठी प्रमुख की कुर्सी निगोह के समाजसेवी बाबू तेजबहादुर सिंह को शिकस्त देकर लगातार बीस सालो तक प्रमुख बने रहे। फिर मडियाहू बिधान सभा से 1984-85 मे गुरूजी कॉग्रेस पार्टी से मडियाहू से चुनाव लड़ा लेकिन हार गये। फिर बरसठी विस से 1993 मे पुनः कॉग्रेस पार्टी से चुनाव मैदान मे आए लेकिन वहां भी हार का सामना करना पडा।
हार के बाद वे 2002 मे पाला बदलकर समाजवादी पार्टी मे शामिल हुए ।ब्राह्मणों का गढ़ कहा जाने वाला बरसठी विस में गुरूजी ने बिरादरी के बीच भी गए और बम्पर वोटों से 2002 मे पहली बार बरसठी से सपा बिधायक बने। 2007 मे पुनः बसपा के रविन्द्र नाथ त्रिपाठी के सामने फिर हार का सामना करना पडा। उसके बाद जफराबाद से 2012 मे सपा के विधायक चुने गये। और फिर 2017 मे हार गये।
पं शचिन्द्रनाथ त्रिपाठी के पिता पं रमेश चन्द्र शर्मा बरसठी क्षेत्र से लगातार चार बार विधायक रहे है और उन्ही की प्रेरणा से वे बरसठी की राजनिति मे सक्रिय हुए और वह पिता के नाम को ऊचाईयों तक ले गये।
श्री त्रिपाठी पाच भाईयों में चौथे नंबर पर थे। मंगलवार को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर  बेटे लकी ने उनको मुखाग्नि दी। इस दौरान जनपद के नेता, मंत्री, विधायक उपस्थित रहे।

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