खराब हो गये तमाम बिसरे, नहीं खुला मौत का रहस्य
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जौनपुर। अपराधियों को सजा दिलाने और अपराध पर अंकुश लगाने में जिले की पुलिस की कितनी सजग है इसकी एक बानगी पोस्टमार्टम हाउस में सड़ रहे बिसरे हैं। यहां पर पिछले कई वर्षों से मौत का रहस्य कंटेनर में कैद है। इस रहस्य से परदा उठाने की जरूरत जिले की पुलिस ने नहीं समझी। रिपोर्ट न आने पर इन मामलों को दर्ज भी नहीं किया गया। पोस्टमार्टम में जब मौत का कारण नहीं साफ होता है तो शव का बिसरा सुरक्षित कर उसे उच्च लैब में भेजा जाता है। जिले में सैकड़ों शवों के बिसरे सुरक्षित किए गए, जिनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। बिसरे सुरक्षित करते वक्त दावा किया गया था कि उनकी जांच कराई जाएगी। मौत का कारण स्पष्ट होते ही जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। परिजनों के शव घर ले जाने के बाद पुलिस की स्थिति वह हुई जैसे कोई बलाश् टली हो। रात गई-बात गई वाली कहावत चरितार्थ करते हुए पुलिस मामले को भूल गई। पुलिस की इस मंशा के भी कई कारण हैं। जांच में यदि मौत के पीछे हत्या का तथ्य निकलता है तो पुलिस रिकार्ड में हत्या का आंकड़ा बढ़ जाएगा। उसके बाद विवेचना के लिए तमाम भागदौड़ और मुल्जिम की गिरफ्तारी आदि का झंझट पैदा होगा। ऐसे झंझटों से बचने के लिए पुलिस ने सुरक्षित किए गए बिसरों की जांच ही नहीं कराई और न ही उनका मुकदमा दर्ज किया। ज्ञात हो कि किसी भी शव का बिसरा सुरक्षित रहने की मियाद छह माह ही होती है। जानकारों के मुताबिक उससे पुराने बिसरे की सही जांच नहीं हो सकती है। लेकिन यहां तो कई वर्षों से बिसरे रखे हैं। जिनकी मियाद खत्म हुए ही वर्षों बीत गईं। जांच के लिए सैंपल भेजे जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट आने में ही दो-दो वर्ष का वक्त लग जाता है। इस कारण जरूरत न पड़ने पर इन बिसरों की जांच नहीं कराई गई होगी।