दोे महीने में ही जूते हो गये खराब
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जौनपुर। परिषदीय विद्यालयों में जूते और बैग पाकर खुश होने वाले छात्र-छात्राओं के चेहरे दो महीने बाद ही उदास हो गए। दोयम दर्जे के जूते और बैग बहुत जल्द ही फट गए। वहीं बच्चों को दिए जाने वाले स्वेटर ठंड बीतने की बेला में लाए गए। शासन के निर्देश पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को सुविधा देने के लिए जता, बैग, स्वेटर देने का प्रावधान किया गया, लेकिन इसमें भी धांधली कर दी गई। भ्रष्टाचार ने मासूम बच्चों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर दिया। जूतों की आपूर्ति ऐसी गड़बड़ी हुई कि अधिकांश विद्यालयों में आधे से अधिक जूते आज भी रखे हैं। इसके पीछे कारण उनकी अटपटी साइज है। वहीं जिन बच्चों को जूते दिए गए उसके दो माह में ही चीथड़े उड़ने लगे। यही स्थिति स्कूल बैग की है। बच्चों को मिले बैग थोड़ी सी कापियों का वजन नहीं सह पा रहे और फट जा रहे हैं। इससे बच्चों सहित अभिभावकों में भी खासी नाराजगी है।