योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन
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जौनपुर। योग भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसके क्रियात्मक और सैद्धांतिक पक्षों का नियमित और निरन्तर अभ्यास करके व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ रखते हुए समाज के साथ पूरे राष्ट्र में एकत्व के साथ समरसता को स्थापित किया जा सकता है। उक्त बातें पतंजलि योग समिति के तत्वावधान में स्वर्गीय राजकुमार यादव स्मृति स्थल रीठी में आयोजित पाँच दिवसीय विशेष ध्यान योग प्रशिक्षण शिविर में बतौर मुख्य अतिथि पत्रकार शरद कुमार सिंह नें कही।योग के क्रियात्मक और सैद्धांतिक प्रशिक्षणों को प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति और प्रशिक्षक डा ध्रुवराज योगी और समरजीत यादव के द्वारा कराया जा रहा है।योग के क्रियात्मक प्रशिक्षणों में प्रशिक्षकों को रोगानुसार विभिन्न प्रकार के सरल और सहज आसन,व्यायाम और प्राणायामों सहित ध्यान और योगनिद्रा का अभ्यास कराया जा रहा है।सैद्धांतिक पक्षों में आहार-विहार सहित पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के साथ चरक,सुश्रुत के द्वारा बताये गये स्वास्थ्य से सम्बंधित ज्ञान को बताया जा रहा है। क्रियात्मक अभ्यासों के क्रम में योगिंग जागिंग,सूर्यनमस्कार,धनुरासन,भुजंगासन,ताड़ासन और वृक्षासनों सहित भस्त्रिका,कपालभाँति,अनुलोम-विलोम,वाह्य प्राणायाम,अग्निसार और नौलिक्रिया के साथ ध्यान और योगनिद्रा का अभ्यास कराया जा रहा है।