कैसे पढ़े बेटियां जब संसाधन नहीं

जौनपुर। बेटी बचाओ-बेटी पढाओ ,पढ़ें -बेटियां-बढ़े बेटियां जैसे नारे और बालिका समृद्धि सुकन्या योजनाएं सुनकर लगता है कि सरकार वास्तव में बेटियों के प्रति काफी गंभीर है। ग्रामीण इलाके में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था तक तो यह बात ठीक लगती है कितु माध्यमिक स्तर पर पहुंचते ही बालिकाओं की शिक्षा की राह कठिन हो जाती है। यह ऐसी समस्याएं हैं जिनको पार कर आगे बढ़ना सामान्य घरों की बेटियों के लिए संभव नहीं है। बालिकाओ के लिए पृथक माध्यमिक और स्नातक स्तर के सरकारी शिक्षण संस्थानों का अकाल बालिका समृद्धि की सरकारी मंशा को फलने -फूलने में बड़ी रुकावट बना हुआ है। जिले के कई क्षेत्रों में बालिकाओं की जूनियर हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई के लिए कोई सरकारी बालिका इंटर कालेज या डिग्री कालेज नहीं है। इंटर तक की शिक्षा के लिए दूर के विद्यालय में प्रवेश लेती हैं। दस किलोमीटर दूर के गांवों से सरकारी सहूलियतों की उम्मीद में अभिभावक बालिकाओं को प्रवेश दिलाते हैं। जहां सह शिक्षा तो दी जा रही है । सस्ती शिक्षा के लिए सभी अभिभावक छात्राओं को दूर भेजने में झिझकते हैं और कई छात्राएं स्नातक स्तर तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। अभिभावक कहते हैं कि बालिकाओं के लिए आज भी सरकारी इंटर कालेज तथा डिग्री कालेज न होना इस बात का प्रमाण है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी बालिकाओ के लिए शिक्षा के संसाधन जुटाने को लेकर उदासीन बने रहे।

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