अय्यामे फातिमी में उमड़ा अकीदतमंदों का हुजूम
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जौनपुर।
मोहम्मद साहब के एकलौती बेटी हजरत फातिमा जहरा की शहादत की याद में शहर के
नासिरिया अरबी कॉलेज में तीन दिनों तक मजलिस-मातम का सिलसिला चला। आखिरी
दिन मंगलवार की रात में फातिमा जहरा का ताबूत निकाला गया। जिसमें
अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों ने आंसुओं का नजराना पेश किया।
महिलाएं, बुजुर्ग बच्चे सभी ने इस जुलूस में शिरकत की। अंजुमनों ने
नौहाख्वानी और सीनाजनी की।
शहर के मदरसा नासिरिया अरबी कॉलेज में हर वर्ष की तरह हर वर्ष की भी रसूल अल्लाह की इकलौती बेटी जनाबे फातिमा ज़हरा की शहादत मौके पर तीन दिवसीय मजलिस का ऐहतमाम (आयोजन) किया गया। जिसमें देशभर से आए उलमाए कराम ने तकरीर में रसूल अल्लाह की बेटी के जिंदगी परा रोशनी डाली। मंगलवार को हुई आखिरी मजलिस को मदरसा इमानिया नासीरिया के सरपरस्त आयतुल्लाह मौलाना महमूदुल हसन खां ने खेताब (संबोधित) किया। उन्होंने जनाबे फातिमा जहरा कि जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि दुनिया को जन्नत बनाना है तो फातिमा जहरा की सीरत पर अमल करना चाहिए। रसूल-ए-खुदा की वह एकलौती बेटी थीं। उनकी ताजमी में मोहम्मद साहब खड़े हो जाते थे। उन्हें अपनी जगह बैठाते थे। मसाएब पढ़ते हुए मौलाना ने कहा कि मोहम्मद साहब के बाद उनकी इस बेटी पर बहुत जुल्म हुए। जलता हुआ दरवाजा गिरा दिया गया। इससे वह कुछ दिनों के बाद शहीद हो गईं। मसाएब सुनकर वहां मौजूदा लोगों की आंखें भर आईं। लोग रोने-पीटने लगे। तभी ताबूत निकाला गया और फिर नौहाख्ववानी और सीनाजनी का सिलसिला शुरू हुआ। देर रात तक नौहाख्वानी और सीनाजनी हुई और लोगों में तबर्रुक तक्सीम किया गया। नासिरिया अरबी कॉलेज के प्रिंसिपल मौलाना महफूजुल हसन खान तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर अहमद जहां खां प्रबंधक नासिरिया, मौलाना मुस्तफा खां, सैयद फजले अब्बास, मौलाना उरूज हैदर, मौलाना मरगूब आलम, मौलाना यूसुफ खां, मौलाना सैयद आमिर रजा, मसकुरुल हसन, रिजवान अहमद, मौलाना रजी बिस्वानी आदि मौजूद रहे।
शहर के मदरसा नासिरिया अरबी कॉलेज में हर वर्ष की तरह हर वर्ष की भी रसूल अल्लाह की इकलौती बेटी जनाबे फातिमा ज़हरा की शहादत मौके पर तीन दिवसीय मजलिस का ऐहतमाम (आयोजन) किया गया। जिसमें देशभर से आए उलमाए कराम ने तकरीर में रसूल अल्लाह की बेटी के जिंदगी परा रोशनी डाली। मंगलवार को हुई आखिरी मजलिस को मदरसा इमानिया नासीरिया के सरपरस्त आयतुल्लाह मौलाना महमूदुल हसन खां ने खेताब (संबोधित) किया। उन्होंने जनाबे फातिमा जहरा कि जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि दुनिया को जन्नत बनाना है तो फातिमा जहरा की सीरत पर अमल करना चाहिए। रसूल-ए-खुदा की वह एकलौती बेटी थीं। उनकी ताजमी में मोहम्मद साहब खड़े हो जाते थे। उन्हें अपनी जगह बैठाते थे। मसाएब पढ़ते हुए मौलाना ने कहा कि मोहम्मद साहब के बाद उनकी इस बेटी पर बहुत जुल्म हुए। जलता हुआ दरवाजा गिरा दिया गया। इससे वह कुछ दिनों के बाद शहीद हो गईं। मसाएब सुनकर वहां मौजूदा लोगों की आंखें भर आईं। लोग रोने-पीटने लगे। तभी ताबूत निकाला गया और फिर नौहाख्ववानी और सीनाजनी का सिलसिला शुरू हुआ। देर रात तक नौहाख्वानी और सीनाजनी हुई और लोगों में तबर्रुक तक्सीम किया गया। नासिरिया अरबी कॉलेज के प्रिंसिपल मौलाना महफूजुल हसन खान तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर अहमद जहां खां प्रबंधक नासिरिया, मौलाना मुस्तफा खां, सैयद फजले अब्बास, मौलाना उरूज हैदर, मौलाना मरगूब आलम, मौलाना यूसुफ खां, मौलाना सैयद आमिर रजा, मसकुरुल हसन, रिजवान अहमद, मौलाना रजी बिस्वानी आदि मौजूद रहे।