होली पर केमिकल रंग न कर दे बदरंग
https://www.shirazehind.com/2018/02/blog-post_306.html
जौनपुर। पहले होली में घरों, खेतों और खलिहानों में फागों की गूंज ढोल-मंजीरों में सुनाई देती थी लोग प्राकृतिक की गोद में होली का मजा लेते थे। लेकिन समय के साथ होली का रंग बदल गया। न तो खुशबू भरे टेसू के रंग और न ही मन को आनंदित करने वाली फागें है। टेसू रंगों का स्थान केमिकल ने ले लिया है और फाग की जगह पर डीजे में अश्लील गानों ने ले ली है। सावधान रहे कहीं होली चेहरा बदरंग न कर दे। कहीं प्रेम के वशीभूत होकर आप अपने प्रियजन अथवा सगे संबंधी के ऊपर पोटेशियम नाइट्रेट मिला रंग तो नहीं डालने जा रहे हैं। यह रंग आपके और अपने के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। त्वचा को विकृत कर उसे हमेशा के लिए रोगी बना सकता है। होली के पर्व पर रंग डालने की परंपरा सदियों पुरानी है। लोग अपनों को होली के रंग से सराबोर करने के लिए आतुर रहते हैं। होली की निशानी छोड़ने के लिए पक्का रंग डालने का प्रयास करते हैं। बाजार में पक्के रंग की मांग अधिक रहती है। बाजार भी इस मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के रासायनिक तत्व मिलाकर रंगों को पक्का करते हैं। रंगों को पक्का करने के लिए व्यापारी रंग में पोटेशियम नाइट्रेट मिलाते हैं। लेकिन यह केमिकल काफी खतरनाक है। इससे रंग जरूर पक्का हो जाता है पर रंग श्वांस नली या मुंह द्वारा फेफड़ों तक पहुंच जाता है तो जानलेवा साबित हो सकता है। कहीं रंगों के चक्कर में बदरंग न हो जाए होली इसलिए केमिकल वाले रंगों से शरीर पर कुप्रभाव से बचने का प्रयास करें। हरा रंग में कॉपर सल्फेट एलर्जी, अंधापन और त्वचा में जलन करता है। लाल रंग मरक्यूरिक आक्साइड त्वचा में जलन व कैंसर का खतरा रहता है। बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड त्वचा में एलर्जी व जलन पैदा करता है। सिल्वर रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड त्वचा के कैंसर की खतरा, काला रंग में लेड होता है जो गुर्दो को नुकसान पहुंचाता है। सेंसेटिव त्वचा वाले रंगों से होली खेलने से बचें। रंग खेलने के पहले बालों में जैल या तेल लगाएं। त्वचा से रंग उतारने के लिए दूध में सोयाबीन का आटा या बेसन मिलाकर लगाएं और धीरे- धीरे छुड़ाएं। रगड़ने से त्वचा में जलन हो सकती है। बेसन में नीबू का रस मिलाकर भी रंगों को छुड़ाया जा सकता है। नारियल के तेल या दही से भी स्किन को साफ कर सकते है। होली में हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाए तो बेहतर है। रासायनिक रंग यदि शरीर पड़ जाए तो उसे तत्काल धो डालें। आंख में रंग जाने पर उसे साफ पानी से तत्काल धोयें। राहत न मिले तो चिकित्सक की सलाह लें। पोटेशियम नाइट्रेट फेफड़े को चिपका देता है। जिससे श्वांस अवरुद्ध होने लगती है। जिससे मरीज का ब्लड प्रेशर लो होने लगता है, जो कि जीवन के लिए खतरा पैदा करता है।