कण्डे जलाकर पेड़ बचायें, होली मनायें

जौनपुर। हरियाली है तो जीवन है। होली जलाने के लिए पेड़ न काटे जाएं। शहर सहित जिले भर में होलिका दहन 01 मार्च को किया जाएगा। जिले में लगभग 13 सौ से अधिक   स्थानों पर होलिका दहन किया जाता है। ऐसे में हजारों टन लकड़ी की होलिका सजाई जाएगी, लेकिन हम अपनी जागरूकता से पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं। कंडों की होली जलाकर। किसी भी त्योहार को मनाने की सार्थकता तभी है जब इसमें पवित्रता और श्रद्धा भाव सन्निहित हो। होली का त्योहार सन्निकट है इसको लेकर घरों और सार्वजनिक स्थलों पर तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में हम सबका दायित्व बन जाता है कि त्योहार के अवसर पर पर्यावरण प्रदूषण को न बिगड़ने दें। यह तभी संभव है जब हम होलिका दहन समाज के लाभ को ध्यान में रखकर करें। इसके लिए अधिक कुछ नहीं केवल संकल्प करना होगा कि हम स्वयं पर्यावरण का संरक्षण करेंगे और इसके लिए दूसरों को प्रेरित करेंगे। आम तौर पर घरों में गोबर की गुलरियां बनाकर होली जलाई जाती है, जबकि सार्वजनिक स्थलों पर पेड़-पौधों को काटकर रख दिया जाता है। इससे हमारे आसपास पेड़-पौधे कम होते हैं और हम पर्यावरण बिगाड़ने में सहायक होते हैं। इस प्रवृत्ति पर विराम लगे इसके लिए बच्चों और युवाओं को संकल्प लेना होगा और इस बार लकड़ी की नहीं कंडों की होली जलाई जानी चाहिए। आम तौर पर एक पेड़ में औसत जलाऊ लकड़ी करीब 4 से 6 कुन्तल निकलती है। वहीं, एक औसत होली में करीब दो से ढाई कुन्तल लकड़ी का उपयोग होता है। ऐसे हालात में दो होलिका दहन में एक हरे भरे वृक्ष की कटाई होना संभावित है। जबकि जिले में करीब सैकड़ो स्थानों पर होलिका दहन होता है, जिस पर अनुमानित करीब 600 से 1000 पेड़ों की लकड़ी जलना संभावित है। कंडों से होलिका दहन के कई लाभ शास्त्रों में कंडों   से होलिका दहन करना शुभ माना गया है। गाय के गोबर में कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है।

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