वाराणसी-लखनऊ रूट पर 'नो सिग्नल' टेंशन खत्म
https://www.shirazehind.com/2018/02/blog-post_172.html
जौनपुर। वाराणसी से लखनऊ जाने वाली गाड़ियों का अब ट्रैक पर सरपट दौड़ने
का रास्ता साफ हो गया है। लखनऊ, सुल्तानपुर, जफराबाद (एलएसजे) सेक्शन के
बीच दोहरीकरण का कार्य पूरा हो गया है। तीन सेक्शनों पर ट्रैक निर्माण
कार्य वर्ष 2005 से चल रहा था। इसका संचालन शुरू होते ही ट्रेनों को क्रासिंग पर रोकने के झंझट से छुटकारा मिलेगा। यात्रियों का सफर भी आसान हो
जाएगा।
रेलवे के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है। वाराणसी से लखनऊ तक पूर्णरूप से दोहरीकरण नहीं होने की वजह से ट्रेनों को क्रा¨सग के लिए रोकना पड़ता है। इससे समय की बर्बादी होने के साथ ही यात्रियों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। वाराणसी से जौनपुर, सुल्तानपुर होते हुए तकरीबन तीस ट्रेनें लखनऊ के लिए निकलती हैं। ऐसे में इसका फायदा हजारों यात्रियों को मिलेगा। 22 फरवरी को मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) शैलेष कुमार पाठक तीनों सेक्शन का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान क्वालिटी चेक करने के साथ ही पटरियों की क्षमता भी जांची जाएगी। सीसीआरएस द्वारा हरी झंडी देने के बाद ट्रैक को ट्रेनों के लिए खोल दिया जाएगा। दस वर्ष पहले शुरू हुई इस परियोजना को पिछली यूपीए सरकार में तवज्जो नहीं दी गई।
रेलवे के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है। वाराणसी से लखनऊ तक पूर्णरूप से दोहरीकरण नहीं होने की वजह से ट्रेनों को क्रा¨सग के लिए रोकना पड़ता है। इससे समय की बर्बादी होने के साथ ही यात्रियों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। वाराणसी से जौनपुर, सुल्तानपुर होते हुए तकरीबन तीस ट्रेनें लखनऊ के लिए निकलती हैं। ऐसे में इसका फायदा हजारों यात्रियों को मिलेगा। 22 फरवरी को मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) शैलेष कुमार पाठक तीनों सेक्शन का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान क्वालिटी चेक करने के साथ ही पटरियों की क्षमता भी जांची जाएगी। सीसीआरएस द्वारा हरी झंडी देने के बाद ट्रैक को ट्रेनों के लिए खोल दिया जाएगा। दस वर्ष पहले शुरू हुई इस परियोजना को पिछली यूपीए सरकार में तवज्जो नहीं दी गई।