सख्ती की कमी से नहीं थम रही दुर्घटनायें

 जौनपुर। तेज रफ्तार वाहन फर्राटे भरते नौजवान होड़ में आकर वाहनों को इस कदर दौड़ाते हैं कि वह या तो खुद हादसे का शिकार होते हैं या फिर सामने वाले को अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे लोग खुद की जिदगी सिर्फ होड़ में ही खतरे में डालते हैं, अगर वह होश में वाहन चलाएं तो हादसों पर लगाम लग सकती है। दिन पर दिन सड़क हादसों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बढ़ते सड़क हादसों पर शासन से लेकर प्रशासन तक ¨चतित हो उठा है। हादसों की संख्या रोकने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह, यातायात माह जैसे विशेष आयोजन साल में किए जाते हैं। बावजूद इसके कोई सुधार होता दिखाई नहीं देता। सुबह से रात तक सड़कों पर निकलने वाली युवाओं की टोली होड़ में आकर एक दूसरे को पीछा करने के लिए वाहनों को बेतरतीब तरीके से दौड़ाते हैं। अधिकांश रोडों पर पल भर में हुए हादसे उनकी जिदगी छीनते हैं तो परिवार के लिए जिदगी भर का दर्द दे जाते हैं। ऐसे तमाम परिवार हैं जो अपनों की याद में सिसक रहे हैं। हादसे के बाद जो वजह निकलकर आती है वह तेज रफ्तार ही होती है। ऐसे में सभी से अपील भी की जाती है कि निर्धारित स्पीड पर ही वाहनों को चलाना चाहिए, लेकिन फिर भी सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में सभी को होश में रहकर वाहन चलाने की जरूरत है।सड़क दुर्घटना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। आए दिन सैकड़ों लोग यातायात नियमों की जरा सी अनदेखी की वजह से काल के गाल में समा जाते हैं। कुछ दिन तो लोग संभलकर चलने का प्रयास करते हैं, लेकिन चंद दिनों में ही स्थिति पुरानी जैसी हो जाती है। कारण है यातायात महकमों के जिम्मेदारों का लगातार चेकिग न करना। रोज मुख्य चैराहों पर चेकिग अभियान चलाया जाए तो बदलाव नजर आएगा। हालांकि योगी की सख्ती के बाद परिवहन व यातायात विभाग की ओर से चलाए गए अभियान के बाद हेलमेट को लेकर तो लोगों में जागरूकता नजर आने लगी हैं, लेकिन सड़क पर चलते समय नियमों को ध्यान में नहीं रखा जाता। डग्गामार वाहनों पर लगाम कसने के लिए परिवहन विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में भी अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। समय-समय पर शहर में भी अभियान चलता है। स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को यातायात के नियमों का पालन करने को जागरूक किया जाता है। यातायात विभाग की ओर से भी कभी-कभार चे¨कग की जाती है। कुछ दिन तो बदलाव नजर आता है और सड़कों पर चलने से पहले नियमों का याद रखा जाता है, लेकिन अभियान समाप्त होने के बाद भी स्थिति जस की तस हो जा रही है। विभागों के पास स्टाफ न होने की बात कहकर नियम तोड़ने वाले कुछ ही लोगों पर कार्रवाई की जाती है। आलम यह है कि शहर के मुख्य चैराहों पर यातायात पुलिस के अलावा पीआरडी जवान के होने के बाद भी डग्गामार वाहन सवारियों को लटकाकर ले जाते नजर आते हैं। हर बुधवार को चलने वाले अभियान चलने के बाद भी इसी दिन लोग हेलमेट का प्रयोग करते हैं, बाकी के दिनों में जान से खिलवाड़ करते हुए वाहन चलाते हैं। चालान होते हैं, लेकिन कानून लचर होने की वजह से वह आसानी से छूट जाते हैं और अगली बार फिर नियमों को तोड़ते हैं।

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